Sunday, April 1, 2012

सतत मूल्यांकन प्रणाली(सीसीई) पर शिक्षक असंमजस में

भिवानी

शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में लागू सतत मूल्यांकन प्रणाली((सीसीई)) को लेकर स्कूल शिक्षक असमंजस की स्थिति में है। उनका कहना है कि जब उन्हें सीसीई की ट्रेनिंग ही नवंबर व दिसंबर में दी गई है, तो वह शैक्षणिक सत्र के शुरुआत से ब'चों का मूल्यांकन कैसे करें।
शिक्षा विभाग द्वारा शैक्षणिक सत्र 2011-12 से पहली से आठवीं कक्षा तक सतत मूल्यांकन प्रणाली लागू की गई है। इसके मुताबिक पहली से आठवीं कक्षा तक ब'चों की वार्षिक परीक्षाएं नहीं कराई जाएगी, बल्कि ब'चों का सतत मूल्यांकन किया जाएगा। इसके अंतर्गत ब'चों की हर महीने टेस्ट लिए जाएंगे, जिनके आधार पर उनका मूल्यांकन होगा। इसके अलावा प्रत्येक महीने उसकी अन्य जैसे की सांस्कृति गतिविधियों व व्यवहार पर भी नजर रखी जाएगी इनके आधार पर ही ब'चों को अंक दिए जाएंगे। इसी के आधार पर इस बार ब"ाों का आंकलन होना है।
यह है परेशानी
शिक्षकों के सामने परेशानी यह है कि जिस काम को उन्हें महीने दर महीने किया जाना था, वो उन्हें एक बार में पूरा करना पड़ेगा। 


इसके अलावा एक परेशानी यह भी है कि ब'चों का शैक्षणिक मूल्यांकन तो हाउस टेस्ट के आधार पर कर देंगे, लेकिन ब'चों के व्यवहार का मूल्यांकन वो अब कैसे करें। शिक्षकों के मुताबिक उन्होंने अपनी इस परेशानी से विभाग को भी अवगत कराया था, लेकिन विभाग ने उनकी कोई सुनवाई नहीं की। ऐसे में सीसीई केवल औपचारिकता भर है।
ट्रेनिंग हुई मगर लेट
विभाग द्वारा शिक्षकों को सीसीई से अवगत कराने के लिए ट्रेनिंग तो दी गई, लेकिन यह लगभग सत्र के आखिर में दी गई। अगर ट्रेनिंग सत्र शुरु होने से पहले या शुरुआत में भी दे दी जाती, तो शिक्षक शुरु से ही ब'चों का महीने दर महीने मूल्यांकन कर पाते और उनके सामने यह परेशानी खड़ी नहीं होती। आधे से 'यादा सत्र तक को शिक्षकों को यह भी मालूम नहीं था कि सीसीई आखिर है क्या।

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