Wednesday, June 6, 2012

सिंगल प्रवेश परीक्षा की बढ़ी स्वीकार्यता


 इंजीनियरिंग सिंगल प्रवेश परीक्षा को केंद्रीय वित्त पोषित संस्थाओं में लागू किए जाने के बाद अब कई राज्यों ने भी इसे अपनाने का मन बनाया है। जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक जैसे कुछ राज्य केंद्रीय संस्थाओं में इसे लागू किए जाने पर सहमति के बावजूद राज्य स्तरीय परीक्षाओं को इस में शामिल किए जाने के पक्ष में नहीं है। सिंगल प्रवेश परीक्षा में शामिल न होने के उनके अपने अपने तर्क हैं।
मानव संसाधन मंत्रालय की सोमवार को बुलाई राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक में इंजीनियरिंग सिंगल प्रवेश परीक्षा पर चर्चा के दौरान लगभग सभी ने केंद्रीय संस्थाओं में इसे लागू किए जाने पर सहमति जताई। लेकिन राज्यों की इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में इसे लागू करने पर आम सहमति नहीं थी। पूर्व की तुलना में यद्यपि इस बार कई राज्यों ने इस परीक्षा में शामिल होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया।
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि जो राज्य वर्ष 2013 से इसमें शामिल न होकर 2014 से शामिल होना चाहते हैं, वे भी 30 जून तक अपनी सहमति दे सकते हैं। उल्लेखनीय है कि गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा इस परीक्षा को राज्य में लागू किए जाने के लिए पहले ही अपनी सहमति जता चुके हैं। उत्तराखंड, राजस्थान और चंडीगढ़ भी अब इस सूची में शामिल हो चुके हैं। असम ने वर्ष 2014 से इस परीक्षा में शामिल होने की बात कही है। कुछ अन्य राज्य भी इस परीक्षा में शामिल होने की सहमति इसी महीने केंद्र को दे सकते हैं।
बैठक में भाग लेने आए उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री राम गोपाल चौधरी ने ‘अमर उजाला’ को बताया कि राज्य स्तर पर अभी हम इस परीक्षा को लागू नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि इस परीक्षा में विभिन्न शिक्षा बोर्डों के लिए तय किए गए पर्सेंटाइल सिस्टम उत्तर प्रदेश के छात्रों के हितों के अनुकूल नहीं है। बिहार के शिक्षा मंत्री ने सिंगल प्रवेश परीक्षा में आईआईटी को अलग पैटर्न दिए जाने का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि जो नियम सभी केंद्रीय संस्थाओं के लिए हैं, वही आईआईटी के लिए होना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि वर्ष 2015 से आईआईटी भी अन्य केंद्रीय संस्थाओं के पैटर्न पर सिंगल प्रवेश परीक्षा को स्वीकार कर लेगा।
बिहार ने अलग पैटर्न पर जताया विरोध
यूपी सहित कुछ राज्य इसमें शामिल होने को राजी नहीं