नई दिल्ली आइआइटी समेत सभी केंद्रीय प्रौद्योगिकी व इंजीनियरिंग शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रीय स्तर पर एक ही संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की राह आसान नहीं है। सरकार ने अगले साल से इस नई व्यवस्था के अमल की योजना भले बना ली हो, लेकिन तीन आइआइटी की तरफ से इसे नामंजूर करने के बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी) के शिक्षकों ने भी इस पर हाथ खड़े कर दिए हैं। उन्होंने इस पर अमल से पहले आम राय बनाने के साथ ही सरकार को इसे फिलहाल स्थगित रखने की सलाह दी है। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने बुधवार को यहां आल इंडिया आइआइटी फैकल्टी फेडरेशन के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ इस मसले पर खुलकर मशविरा किया, लेकिन सहमति नहीं बनी। फेडरेशन ने इस बाबत सरकार को अपना एक प्रस्ताव भी दिया है। उनका कहना है कि आइआइटी जैसे उच्च कीर्तिमान स्थापित करने वाले इन संस्थानों की प्रवेश प्रक्रिया में बदलाव के इतने बड़े फैसले में उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया। मशविरा नहीं किया गया। लिहाजा उन्हें इसको विस्तार से समझने और आम राय बनाने के लिए और समय दिया जाना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक फेडरेशन ने सरकार को यह भी सलाह दी कि दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा की पुरानी
व्यवस्था की समीक्षा के लिए भी पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। जब तक सभी आइआइटी की एकेडमिक सीनेट में इस पर सहमति न बन जाए, तब तक इसे स्थगित रखा जाना चाहिए। गौरतलब है कि आइआइटी-कानपुर, आइआइटी-मुंबई और आइआइटी-दिल्ली की एकेडमिक सीनेट राष्ट्रीय स्तर पर एक ही संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की पहल को पहले ही नामंजूर कर चुकी है। उधर, फैकल्टी फेडरेशन के साथ बैठक से पहले बुधवार की पूर्वान्ह सिब्बल ने सातों पुराने आइआइटी के चेयरमैन व निदेशकों के साथ भी इस मसले पर बैठक की। बताते हैं कि उस बैठक में भी एकल संयुक्त प्रवेश परीक्षा को लेकर उठ रहे मुद्दों को सुलझाने की कोशिशों पर चर्चा हुई। बैठक के बाद एक आइआइटी के निदेशक ने माना कि कुछ मुद्दे अनसुलझे हैं, लेकिन उम्मीद है कि सारे मसले हल हो जाएंगे। मालूम हो कि इस नई व्यवस्था को नामंजूर करने वाले आइआइटी को मनाने का प्रयास भी बीते दिनों हो चुका है। जबकि, एकल संयुक्त प्रवेश परीक्षा पर अंतिम फैसले के लिए आगामी शनिवार को आइआइटी कौंसिल व एनआइटी कौंसिल की साझा बैठक होने जा रही है।
व्यवस्था की समीक्षा के लिए भी पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। जब तक सभी आइआइटी की एकेडमिक सीनेट में इस पर सहमति न बन जाए, तब तक इसे स्थगित रखा जाना चाहिए। गौरतलब है कि आइआइटी-कानपुर, आइआइटी-मुंबई और आइआइटी-दिल्ली की एकेडमिक सीनेट राष्ट्रीय स्तर पर एक ही संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की पहल को पहले ही नामंजूर कर चुकी है। उधर, फैकल्टी फेडरेशन के साथ बैठक से पहले बुधवार की पूर्वान्ह सिब्बल ने सातों पुराने आइआइटी के चेयरमैन व निदेशकों के साथ भी इस मसले पर बैठक की। बताते हैं कि उस बैठक में भी एकल संयुक्त प्रवेश परीक्षा को लेकर उठ रहे मुद्दों को सुलझाने की कोशिशों पर चर्चा हुई। बैठक के बाद एक आइआइटी के निदेशक ने माना कि कुछ मुद्दे अनसुलझे हैं, लेकिन उम्मीद है कि सारे मसले हल हो जाएंगे। मालूम हो कि इस नई व्यवस्था को नामंजूर करने वाले आइआइटी को मनाने का प्रयास भी बीते दिनों हो चुका है। जबकि, एकल संयुक्त प्रवेश परीक्षा पर अंतिम फैसले के लिए आगामी शनिवार को आइआइटी कौंसिल व एनआइटी कौंसिल की साझा बैठक होने जा रही है।
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