Saturday, March 31, 2012

हरियाणा के अनुबंध अध्यापकों को राहत

चंडीगढ़, 30 मार्च। प्रदेश के राजकीय स्कूलों में कार्यरत लगभग 15 हज़ार अनुबंधित अध्यापकों को राहत देते हुए सुप्रीमकोर्ट ने नियमित भर्ती तक बने रहने का फैसला सुनाया है। कोर्ट के फैसले से अनुबंधित अध्यापकों ने जहां राहत की सांस ली है, वहीं यूनियन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। इससे पूर्व मार्च के प्रथम सप्ताह में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 31 मार्च तक बने रहने के फैसले से अनुबंधित अध्यापकों में खलबली मचा दी थी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब तक नियमित भर्ती न होने के कारण अनुबंधित अध्यापकों का कार्यकाल बढ़ाने की अनुमति हाईकोर्ट से न मिलने के कारण प्रदेश की सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में पुन: याचिका दायर कर अनुबंधित अध्यापकों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए आग्रह किया था। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अल्तमस कबीर व एसएस निज्जर की खंडपीठ ने सुनवाई करतेहुए फैसला दिया कि हरियाणा में नियमित भर्ती होने तक अनुबंधित अध्यापक अपने पदों पर कार्य करते रहेंगे। सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद जहां अनुबंधित अध्यापकों की जान में जान आई है, वहीं प्रदेश के शिक्षा विभाग ने भी राहत की सांस ली है, क्योंकि यदि 31 मार्च के बाद अनुबंधित अध्यापकों का कार्यकाल नहीं बढ़ता तो विभाग के लिए प्रदेश के सरकारी स्कूलों में दो अप्रैल से शुरू होने वाले शिक्षा सत्र के लिए शिक्षकों की भर्ती कर पाना बड़ा मुश्किल-सा लग रहा था और ऐसे में राजकीय
स्कूलों में बड़े स्तर पर शिक्षकों की कमी खलती।
सुप्रीमकोर्ट के फैसले से आज प्रदेशभर के अनुबंधित अध्यापकोंमें दीवाली सा माहौल बना हुआ है। कोर्ट के फैसले के बारे में अनुबंधित अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अरूण मलिक ने ‘दैनिक ट्रिब्यून’ को विशेष बातचीत में बताया कि प्रदेश में कार्यरत 15 हजार अनुबंधित अध्यापक और उन पर आश्रित डेढ़ लाख लोगों को इस फैसले से बड़ी राहत मिली है और यूनियन सुप्रीमकोर्ट के फैसले की आभारी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने भी अनुबंधित अध्यापकों की भलाई के लिए समय-समय पर उचित फैसले लिए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग उठाई है कि अनुबंधित अध्यापकों को नियमित करने के लिए सरकार बीच का रास्ता निकाले, ताकि 15 हजार अनुबंधित अध्यापकों और उनके डेढ़ लाख आश्रितों का भला हो सके। गौरतलब है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2005 में प्रदेश की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए सरकारी स्कूलों में अतिथि अध्यापकों को नियुक्त किया था। यहां बताना होगा कि सरकार द्वाराकी गई अतिथि अध्यापकों की भर्ती के बाद लोगों द्वारा शिक्षकों की कमी के कारण स्कूलों में तालाबंदी तो रुकी ही, साथ ही परीक्षा परिणामों में भी हिजाफा हुआ और छात्र संख्या में भी भारी बढ़ातरी आंकी गई। इसको प्रदेश की सरकार भी मान चुकी है। इस मामले में हरियाणा अतिथि अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अरूण मलिक ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण स्तर पर अतिथि अध्यापकों को भर्ती किया गया था और अतिथि अध्यापकों की भर्ती के बाद भी सरकार द्वारा बिना एचटेट की परीक्षा पास किए शिक्षकों की भर्ती की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार के बुरे समय में अतिथि अध्यापकों ने शिक्षा के स्तर को सुधारा है। ऐसे में उनको बीच में नहीं छोडऩा चाहिए। वहीं गेस्ट टीचर एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव भूपेन्द्र सिंह ने प्रदेश भर में कार्यरत अतिथि अध्यापकों को प्रदेश सरकार से उम्मीद जताते हुए मांग की है कि विधानसभा सत्र में प्रस्ताव लाकर नियमित किया जाए।
हरियाणा एजुकेशन डिपार्टमेंट की वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव सुरीना राजन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों की नियमित भर्ती के लिए शैड्यूल जारी करने के आग्रह को मान लिया है। माना जा रहा है कि अब सरकार शिक्षकों की नियमित भर्ती की दिशा में भी कदम उठाएगी। यहां बता दें कि हुड्डा सरकार ने हरियाणा में शिक्षकों की भर्ती के लिए शिक्षक भर्ती बोर्ड का गठन किया हुआ है। गौरतलब है कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पिछले साल 23 मार्च को हरियाणा सरकार से इस साल 31 मार्च तक नियमित शिक्षकों की भर्ती करने के निर्देश देते हुए गेस्ट टीचरों को रिलीव करने के आदेश दिए थे। इस पर सरकार ने हाईकोर्ट में इसको अमलीजामा पहनाने के लिए 6 महीने का समय मांगा था ताकि नियमित शिक्षकों की भर्ती के दौरान गेस्ट टीचरों को रिप्लेस किया जा सके। हरियाणा ने इसको लेकर एक एफीडेविट भी दिया था जिसमें पहली अप्रैल, 2012 से 30 सितंबर, 2012 तक के लिए मोहलत मांगी थी ताकि इस दौरान रैगूलर टीचरों की भर्ती का काम किया जा सके।
Source: Dainik Tribune

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