बस्ते का बोझ बच्चों पर भारी पड़ रहा है। ज्यादातर बच्चों को अपनी नन्हीं उम्र में ही पीठ दर्द जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, बढ़ती उम्र के साथ उनकी यह दिक्कत गंभीर हो सकती है। एसोचैम के सर्वे में यह तथ्य सामने आए हैं। मार्च और अप्रैल महीने में हुए इस सर्वे में भारी स्कूल बैग से बच्चों पर पड़ रहे असर के बारे में जानना था।
10 शहरों में हुआ सर्वे
इनमें दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बंगलूरू, मुंबई और हैदराबाद भी शामिल
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साल तक के बच्चों को भारी स्कूली बस्ते की वजह से पीठ दर्द का खतरा
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बच्चे अपने वजन का 35 फीसदी बोझ बैग के रूप में रोजाना पीठ पर लादते हैं
2000 बच्चे और उनके माता-पिता सर्वे में किए गए शामिल, इसमें पाया गया कि 12 साल से कम उम्र के करीब 1500 बच्चे बिना सहारे के ठीक से नहीं बैठ सकते थे। उन्हें शारीरिक दिक्कतें थीं।
क्या हैं शिकायतें ः
माता-पिता बताते हैं कि स्कूल में रोजाना औसतन सात से आठ पीरियड होते हैं। बच्चों को कम से कम तीन किताबें, कापियां, वर्डबुक और अन्य सामान स्कूल ले जाना ही होता है। इसके अलावा उन्हें स्केट्स, ताइक्वांडो, स्विम बैग, क्रिकेट किट जैसे सामान भी किसी-किसी दिन ले जाने होते हैं।
बस्ते के ज्यादा बोझ से पीठ और रीढ़ की समस्या होने का खतरा बढ़ सकता है। इस ज्यादा वजन के चलते हड्डियों और शरीर के विकास पर विपरीत असर पड़ सकता है। -