हरियाणा साहित्य अकादमी से पुरस्कृत युवा साहित्यकारों को सरकारी नौकरियों व दाखिलों में अतिरिक्त अंक प्रदान किए जाएंगे। रणजी टूर्नामेंट के खिलाडि़यों तथा एनसीसी सर्टिफिकेट प्राप्त छात्रों को यह सुविधा पहले से प्राप्त है। हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक डा. श्याम सखा श्याम ने युवा साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उन्हें नौकरियों व दाखिलों में अतिरिक्त अंक प्रदान करने संबंधी प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है। राष्ट्रीय खिलाडि़यों को पांच तथा रणजी खिलाडि़यों को नौकरियों में साक्षात्कार तथा दाखिलों में तीन अंक दिए जाने का प्रावधान है। युवा साहित्यकारों को कितने अतिरिक्त अंक (वेटेज) दिए जाने चाहिए, इस बारे में अकादमी की गवर्निग बाडी फैसला करेगी। डा. श्याम की मानें तो हरियाणवी व हिंदी लेखन के प्रति साहित्यकारों की रूचि बढ़ रही है। अकादमी के पास पुरस्कृत होने के लिए इस बार छह गुणा अधिक हरियाणवी कृतियां और तीन गुणा अधिक हिंदी कृतियां आई हैं। इसी कड़ी में युवाओं को साहित्य लेखन से जोड़ने की योजना है। डा. श्याम के अनुसार स्कूल व कॉलेजों में कहानी
वर्कशाप, युवा कहानी प्रतियोगिता तथा कवि सम्मेलनों के जरिए युवाओं को साहित्य से जोड़ने की मुहिम शुरू की गई है। कॉलेजों में कहानियां भेजकर उनके लेखकों को युवाओं से सीधे रुबरू कराया जा रहा है, ताकि युवा जान सकें कि लेखन की शुरुआत कहां से तथा किन परिस्थितियों में होती है। हिंदी, पंजाबी, अंग्रेजी और हरियाणवी में 35 किताबें लिख चुके डा. श्याम के अनुसार साहित्य अकादमी अगले साल से साहित्य के क्षेत्र में युवा पुरस्कार शुरू करने के बारे में गंभीरता से विचार कर रही है। अकादमी का बजट अब तीन करोड़ रुपये हो गया है। पहले यह 45 लाख रुपये थी। अब कमोबेश लेखकों के सामने धन का संकट नहीं रहेगा।
वर्कशाप, युवा कहानी प्रतियोगिता तथा कवि सम्मेलनों के जरिए युवाओं को साहित्य से जोड़ने की मुहिम शुरू की गई है। कॉलेजों में कहानियां भेजकर उनके लेखकों को युवाओं से सीधे रुबरू कराया जा रहा है, ताकि युवा जान सकें कि लेखन की शुरुआत कहां से तथा किन परिस्थितियों में होती है। हिंदी, पंजाबी, अंग्रेजी और हरियाणवी में 35 किताबें लिख चुके डा. श्याम के अनुसार साहित्य अकादमी अगले साल से साहित्य के क्षेत्र में युवा पुरस्कार शुरू करने के बारे में गंभीरता से विचार कर रही है। अकादमी का बजट अब तीन करोड़ रुपये हो गया है। पहले यह 45 लाख रुपये थी। अब कमोबेश लेखकों के सामने धन का संकट नहीं रहेगा।