Friday, May 11, 2012

फर्जीवाड़ा करने वाले तीन शिक्षकों की नौकरी गई


> फर्जी डिग्री से ली प्रमोशन, एक डिसमिस, दो को जबरन सेवानिवृत्ति > हिसार के विजिलेंस टीम इंचार्ज को हुआ था डिग्री पर शक 
विद्यार्थियों को ईमानदारी और कठिन परिश्रम का पाठ सिखाने वाले तीन शिक्षकों को फर्जी डिग्री के आधार पर पदोन्नति पाने के आरोप में एक को डिसमिस तो दो को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है। शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी आदेश की त्वरित कार्रवाई करते हुए जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने संबंधित शिक्षकों को सेवामुक्ति के आदेश दिए।

फर्जी डिग्री के आधार पर पदोन्नति प्राप्त करने वाले गांव आसिया की पाचौर स्कूल में एसएस मास्टर राधेश्याम को जहां नौकरी से डिसमिस किया गया है वहीं राजकीय उच्च विद्यालय में कार्यरत एसएस मास्टर परमाल सिंह और राजकीय उच्च विद्यालय गुमाना के साइंस मास्टर मनोहरलाल को अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा दी गई है। 

एलीमेंट्री एजुकेशन निदेशालय के सहायक शिक्षा निदेशक अश्वनी कुमार की ओर से देर शाम यह आदेश जारी कर दिया गया है। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से इसकी पुष्टि की गई है।

हिसार की विजिलेंस क्राइम ब्रांच के इंचार्ज द्वारा जांच करने के बाद जब उनकी डिग्री पर शक हुआ तो लगातार व्यक्तिगत और लिखित रूप में उनसे स्पष्टीकरण देने को कहा गया। इसके अलावा क्राइम ब्रांच की ओर से जांच की गई तो पाया गया कि उन्होंने न केवल फर्जी डिग्री प्रस्तुत की बल्कि उसका प्रयोग करते हुए विभाग को अंधेरे में रखा।

शिक्षक राधेश्याम ने झांसी स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से 1998 में एमए की नकली डिग्री तैयार कराई। यह डिग्री उन्हें गुडग़ांव स्थित एक डिग्री कॉलेज के माध्यम से मिली। इस आधार पर उन्होंने अंग्रेजी प्राध्यापक के पद पर 15 मार्च, 2000 को पदोन्नति पाई। इसी प्रकार शिक्षक परमाल सिंह ने भी इसी विश्वविद्यालय और गुडग़ांव के ही इसी डिग्री कॉलेज से डिग्री प्राप्त कर प्राध्यापक पर मार्च 2000 में पदोन्नति प्राप्त की। साइंस मास्टर मनोहरलाल ने भी यहीं से गणित में एमए करते हुए प्राध्यापक पद के पद पर नवंबर 1999 को पदोन्नत हुए।