मास्टर से मिडिल स्कूल हेड मास्टरों की पदोन्नति प्रक्रिया विवादों के घेरे में आ गई है। सेवा नियमों के आधार पर करीब 70 फीसद मास्टर पदोन्नति से वंचित रह जाएंगे। इनके स्नातक परीक्षा में 50 प्रशित अंक नहीं हैं। लिहाजा उन्हें अब पदोन्नति के लिए मशक्कत करनी पड़ सकती है। हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश मलिक ने शिक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक अश्विनी कुमार से मुलाकात कर मास्टरों की पदोन्नति के इस सर्विस रूल पर कड़ी आपत्ति जताई है। रमेश मलिक ने सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग पेश करते हुए कहा कि पुरानी भर्तियों पर नए सेवा नियम लागू नहीं हो सकते। इसलिए मास्टरों की पदोन्नति स्नातक में 50 फीसद अंक की बजाय वरीयता के आधार पर की जानी चाहिए। सरकार ने 5548 मास्टरों को मिडिल स्कूल हेडमास्टर के पद पर पदोन्नति देने का फैसला किया है। इसके तहत सिर्फ उन मास्टरों को पदोन्नति मिलेगी, जिनके स्नातक में 50 प्रतिशत या अधिक अंक हैं। इन मास्टरों की भर्ती 1983 से 1996 के बीच की है। मास्टरों की दलील है कि उस समय बीए में इतने अधिक अंक हासिल नहीं हो पाते थे। अब 50 फीसद की अनिवार्यता के कारण उनकी पदोन्नति पर असर पड़ रहा है। प्रदेश अध्यक्ष रमेश मलिक का कहना है कि अतिरिक्त निदेशक ने सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के साथ मास्टर वर्ग एसोसिएशन की आपत्ति मंगा ली है। इसे राज्य सरकार के विचाराधीन पेश किया जाएगा।
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