देश के 95 फीसद स्कूल शिक्षा का अधिकार कानून के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रहे। छह से 14 साल तक की उम्र के बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के लिए अप्रैल, 2010 में यह कानून लागू किया गया था। गैरसरकारी संगठन आरटीई फोरम ने देशभर के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों का सर्वे कर रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक सत्र 2010-11 में दस फीसद विद्यालयों में ही पीने के पानी की सुविधा मौजूद थी। प्रत्येक पांच में से दो स्कूलों में शौचालय की सुविधा नहीं थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि देशभर में शिक्षकों के 36 फीसद पद खाली हैं। अकेले राजधानी दिल्ली में ही शिक्षकों के 21 हजार पद रिक्त हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया कि हरियाणा में शिक्षक मिड-डे मील की ठेकेदारी और चुनावी गतिविधियों में संलग्न हैं। राष्ट्रीय स्तर पर
मौजूदा अध्यापक छात्र अनुपात 1:80 है, जबकि प्राथमिक स्तर पर यह 1:30 व माध्यमिक स्तर पर 1:35 होना
चाहिए।
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