केंद्रीय स्कूलों की तर्ज पर खोले आरोही मॉडल स्कूलों के सपने इस बार भी ध्वस्त हो गए। प्रवेश परीक्षा के बाद भी जिले के सभी छह मॉडल स्कूलों में सीटें खाली रह गई हैं। इन स्कूलों में सुविधाएं पूरी न होने पर पहले तो प्रवेश लेने के लिए विद्यार्थी तैयार ही नहीं थे। वहीं रही सही कसर शिक्षा बोर्ड द्वारा ली प्रवेश परीक्षा ने पूरी कर दी है। बोर्ड द्वारा घोषित प्रवेश परीक्षा का रिजल्ट 60 फीसदी से कम रहा। हालात यह है कि उकलाना स्कूल के अलावा जिले के किसी भी मॉडल स्कूल में नौवीं और 11वीं के लिए एक एक सेक्शन भी नहीं बन पाएगा।
शिक्षा विभाग ने पिछले वर्ष प्रदेश के शैक्षणिक रूप से पिछड़े 36 खंडों में केंद्रीय स्कूलों की तरह आरोही मॉडल स्कूलों की योजना बनाई थी। विभागीय योजना के अनुसार इंग्लिश मीडियम के इन स्कूलों में अत्याधुनिक संसाधनों के माध्यम से पढ़ाई कराई जानी थी।
इसके लिए जिले के छह खंडों के एक एक गांवों का चयन कर प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिले दिए गए। इन स्कूलों में नौवीं में 40-40 छात्रों के दो सेक्शन और 11वीं के आट्र्स, कॉमर्स और साइंस के लिए 40- 40 सीटें स्वीकृत की गईं। पिछले साल इन स्कूलों में एडमिशन के लिए मारामारी रही। मगर स्टाफ की कमी और अन्य सुविधाओं का टोटा देख छात्रों का रुझान घटा।इस साल मार्च में ली प्रवेश परीक्षा के लिए निर्धारित सीटों की तुलना में केवल 30 से 40 फीसदी आवेदन आए। नौवीं के लिए जिले के सभी छह स्कूलों में स्वीकृत 480 सीटों के लिए केवल 210 छात्रों ने आवेदन किया, वहीं 11वीं के लिए केवल 222 छात्रों ने परीक्षा दी।
परिणाम भी निराशाजनक
मॉडल स्कूलों के लिए भिवानी बोर्ड द्वारा मार्च में प्रवेश परीक्षा ली गई थी। इसमें 9वीं में केवल 59 फीसदी छात्र पास हुए। यह संख्या विभाग द्वारा निर्धारित सीटों का केवल 26 फीसदी है। इसी तरह 11वीं का रिजल्ट भी 63 फीसदी रहा। इसके चलते इस कक्षा में निर्धारित सीटों की तुलना में केवल 19 फीसदी छात्र ही एडमिशन के लिए क्वालिफाई हुए। सबसे खराब स्थित नारनौंद मॉडल स्कूल की है। इस स्कूल में नौवीं में केवल छह और 11वीं में केवल तीन छात्र ही प्रवेश परीक्षा में सफल रहे। जिले के सभी छह स्कूलों में केवल उकलाना स्कूल ही ऐसा है, जिसमें दोनों कक्षाओं में एक एक सेक्शन बन पाएगा।
स्कूल कक्षा 9वीं कक्षा 11वीं
भिवानी रोहिला 36/24 40/10
उकलाना 65/03 69/27
घिराय 23/04 21/03
खेड़ी लोहचब 34/29 05/02
अग्रोहा 41/22 56/30
गैबीपुर 11/03 31/10
॥ मॉडल स्कूलों में स्टाफ जैसी मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध न कराना ही इन स्कूलों के फ्लॉप होने का मुख्य कारण है। पिछले वर्ष के हश्र को देखते हुए छात्रों ने इनमें आवेदन नहीं किया और जिन्होंने आवेदन किया था वे प्रवेश परीक्षा में सफल ही नहीं हो पाए। विभाग को पहले इन स्कूलों में पूरी सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए। तभी छात्र इनके प्रति आकर्षित होंगे।ञ्जञ्ज
सुखवीर श्योराण, शिक्षाविद
इन स्कूलों के फ्लाप होने के पीछे स्टाफ की स्थाई नियुक्ति न होना मुख्य कारण माना जा रहा है। हालांकि विभाग ने इन स्कूलों में पिछले वर्ष एडमिशन तो कर लिए, लेकिन स्टाफ की व्यवस्था अभी तक नहीं हो पाई है। विभाग ने नियमित स्टाफ की भर्ती के लिए पात्रता परीक्षा पात्र उम्मीदवारों से आवेदन लेते हुए साक्षात्कार भी लिए, लेकिन बाद में यह मामला विभागीय कार्रवाई में उलझ गया। विभाग ने अभी हाल ही में कई स्कूलों में प्राचार्य और प्राध्यापकों को इन स्कूलों में स्थानांतरित किया है, लेकिन अभी भी काफी सीटें रिक्त हैं।
शिक्षा विभाग ने पिछले वर्ष प्रदेश के शैक्षणिक रूप से पिछड़े 36 खंडों में केंद्रीय स्कूलों की तरह आरोही मॉडल स्कूलों की योजना बनाई थी। विभागीय योजना के अनुसार इंग्लिश मीडियम के इन स्कूलों में अत्याधुनिक संसाधनों के माध्यम से पढ़ाई कराई जानी थी।
इसके लिए जिले के छह खंडों के एक एक गांवों का चयन कर प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिले दिए गए। इन स्कूलों में नौवीं में 40-40 छात्रों के दो सेक्शन और 11वीं के आट्र्स, कॉमर्स और साइंस के लिए 40- 40 सीटें स्वीकृत की गईं। पिछले साल इन स्कूलों में एडमिशन के लिए मारामारी रही। मगर स्टाफ की कमी और अन्य सुविधाओं का टोटा देख छात्रों का रुझान घटा।इस साल मार्च में ली प्रवेश परीक्षा के लिए निर्धारित सीटों की तुलना में केवल 30 से 40 फीसदी आवेदन आए। नौवीं के लिए जिले के सभी छह स्कूलों में स्वीकृत 480 सीटों के लिए केवल 210 छात्रों ने आवेदन किया, वहीं 11वीं के लिए केवल 222 छात्रों ने परीक्षा दी।
परिणाम भी निराशाजनक
मॉडल स्कूलों के लिए भिवानी बोर्ड द्वारा मार्च में प्रवेश परीक्षा ली गई थी। इसमें 9वीं में केवल 59 फीसदी छात्र पास हुए। यह संख्या विभाग द्वारा निर्धारित सीटों का केवल 26 फीसदी है। इसी तरह 11वीं का रिजल्ट भी 63 फीसदी रहा। इसके चलते इस कक्षा में निर्धारित सीटों की तुलना में केवल 19 फीसदी छात्र ही एडमिशन के लिए क्वालिफाई हुए। सबसे खराब स्थित नारनौंद मॉडल स्कूल की है। इस स्कूल में नौवीं में केवल छह और 11वीं में केवल तीन छात्र ही प्रवेश परीक्षा में सफल रहे। जिले के सभी छह स्कूलों में केवल उकलाना स्कूल ही ऐसा है, जिसमें दोनों कक्षाओं में एक एक सेक्शन बन पाएगा।
स्कूल कक्षा 9वीं कक्षा 11वीं
भिवानी रोहिला 36/24 40/10
उकलाना 65/03 69/27
घिराय 23/04 21/03
खेड़ी लोहचब 34/29 05/02
अग्रोहा 41/22 56/30
गैबीपुर 11/03 31/10
॥ मॉडल स्कूलों में स्टाफ जैसी मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध न कराना ही इन स्कूलों के फ्लॉप होने का मुख्य कारण है। पिछले वर्ष के हश्र को देखते हुए छात्रों ने इनमें आवेदन नहीं किया और जिन्होंने आवेदन किया था वे प्रवेश परीक्षा में सफल ही नहीं हो पाए। विभाग को पहले इन स्कूलों में पूरी सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए। तभी छात्र इनके प्रति आकर्षित होंगे।ञ्जञ्ज
सुखवीर श्योराण, शिक्षाविद
इन स्कूलों के फ्लाप होने के पीछे स्टाफ की स्थाई नियुक्ति न होना मुख्य कारण माना जा रहा है। हालांकि विभाग ने इन स्कूलों में पिछले वर्ष एडमिशन तो कर लिए, लेकिन स्टाफ की व्यवस्था अभी तक नहीं हो पाई है। विभाग ने नियमित स्टाफ की भर्ती के लिए पात्रता परीक्षा पात्र उम्मीदवारों से आवेदन लेते हुए साक्षात्कार भी लिए, लेकिन बाद में यह मामला विभागीय कार्रवाई में उलझ गया। विभाग ने अभी हाल ही में कई स्कूलों में प्राचार्य और प्राध्यापकों को इन स्कूलों में स्थानांतरित किया है, लेकिन अभी भी काफी सीटें रिक्त हैं।