Tuesday, April 24, 2012

12वीं के उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का बहिष्कार हसला ने कहा, बढ़े हुए पारिश्रमिक का पत्र जारी करे सरकार


हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन (हसला) ने कहा है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती, वे 12वीं कक्षा की उत्तर पुस्तकों का मूल्यांकन नहीं करेंगे। एसोसिएशन का कहना है कि सरकार मांगों को लेकर 20 अप्रैल, 2011 को हुए समझौते को लागू करे और बोर्ड के सचिव के साथ बैठक में उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के बढ़े हुए पारिश्रमिक को लेकर पत्र जारी करे। जब तक ऐसा नहीं होता, उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य पूरे प्रदेश में बंद रहेगा।
हसला के प्रदेश अध्यक्ष किताब सिंह मोर और महासचिव दलवीर सिंह पंघाल ने कहा कि प्रदेश सरकार के अडिग रवैये के चलते वे ऐसा करने को मजबूर हैं। उनके अनुसार एक तरफ सरकार नौवीं से 12वीं तक की कक्षाएं प्राध्यापकों को सौंप रही है, दूसरी ओर प्राध्यापकों की जायज मांगों को भी नहीं माना जा रहा। हेडमास्टरों को चार साल की सेवा के बाद पदोन्नत किया जा रहा है, लेकिन प्राध्यापक 21 साल बाद भी पदोन्नति से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के हरेक वर्ग के दो पदोन्नति चैनल हैं, जबकि प्राध्यापकों को एक चैनल के जरिए भी 60 फीसदी ही पदोन्नति मिल पा रही है। स्थिति ऐसी ही रही, तो 1996 के बाद नियुक्त कोई भी प्राध्यापक प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नत नहीं हो सकेगा। इस अवसर पर कार्यकारी अध्यक्ष आर सहरावत, दयानंद, सुरेंद्र महला, रमेश मल्हान, मुकेश नैन, सुनील जिंदल, पवन बटार, गुलजार सिंह, नरेंद्र, ईश्वर सिंह, सतबीर सभरवाल, राजवीर, बलजीत लांबा और बलवीर समेत राज्य कार्यकारिणी के सभी सदस्य मौजूद थे।
किताब सिंह मोर बोले, प्राध्यापक 21 साल बाद भी पदोन्नति से हैं वंचित