चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : प्रदेश के निजी स्कूलों में गरीब परिवारों बच्चों को 25 फीसद दाखिले नहीं मिल पा रहे हैं। हाईकोर्ट के निर्देश पर गठित जिलास्तरीय कमेटियां भी इसके लिए निजी स्कूलों पर कोई दबाव नहीं बना पाई हैं। जिला उपायुक्तों के नेतृत्व में गठित अधिकतर कमेटियों ने अभी तक निजी स्कूल संचालकों के साथ बैठकें तक नहीं की हैं। दो जमा पांच मुद्दे जन आंदोलन नामक संगठन के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव सुरीना राजन से मिलकर इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है। संगठन के प्रतिनिधियों ने हरियाणा स्कूल एजुकेशन रूल-2003 के तहत धारा 134-ए को लागू कराए जाने की मांग की है। इस नियम के तहत हर निजी स्कूल में प्रत्येक कक्षा में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को दाखिला देना अनिवार्य है। दो लाख रुपये से कम आय वाले लोग इस नियम के तहत गरीब माने गए हैं। निजी स्कूल मान्यता हासिल करते समय राज्य सरकार को इस बात का हलफिया बयान पत्र देते हैं कि वह रूल 2003 का अनुपालन करते हुए गरीब बच्चों को मुफ्त दाखिला देंगे और उनसे फीस नहीं लेंगे। आंदोलन के अध्यक्ष सतबीर सिंह एडवोकेट और प्रभारी जिले सिंह शुक्रवार को कुछ बच्चों को साथ लेकर वित्तायुक्त से मिले। उन्होंने वित्तायुक्त को दिए ज्ञापन में कहा है कि हाई कोर्ट के निर्देश पर बनाई गई जिला उच्च कमेटियां अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं कर रहीं। स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चों के दाखिले नहीं हो रहे हैं। स्कूल संचालकों ने अपने नोटिस बोर्ड पर रूल-2003 और उसके नियम 134-ए के बारे में भी कोई नोटिस नहीं चस्पा किया है। अभी तक निजी स्कूलों ने कक्षावार कोई रजिस्टर भी तैयार नहीं किया है।
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