Thursday, April 19, 2012

शिक्षा सुधारों में रोड़ा अटका रहे निजी संस्थान

 उच्च शिक्षा से संबंधित कई महत्वपूर्ण विधेयकों के संसद में दो वर्षो से लंबित होने के कारण केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने बुधवार को कहा कि सदन में राजनीतिक स्वार्थ राष्ट्रीय हित पर हावी हो रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि निजी संस्थान अपने लाभ के लिए शिक्षा सुधारों में रोड़ा अटका रहे हैं। सिब्बल ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, राजनीतिक इच्छाशक्ति यदि हो तो सब कुछ हो जाएगा..भारत को सशक्त बनाने के हितों पर सत्ता में बने रहने के राजनीतिक दलों के स्वार्थ हावी हो रहे हैं।
शिक्षा एवं स्वास्थ्य को राजनीतिक एजेंडे से अवश्य ऊपर रखा जाना चाहिए। उन्होंने खेद जताते हुए कहा कि 14 से अधिक विधेयकों के मसौदे लंबित हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि शैक्षणिक संस्थानों को चला रहे निजी व्यक्ति या संस्थान इन विधेयकों को रोक रहे हैं, जो शिक्षा का स्तर बढ़ाए जाने के लिए अत्यंत जरूरी है। उन्होंने कहा, मुझे यह कहते हुए बहुत दुख हो रहा है कि हमने शिक्षा भ्रष्टाचार विधेयक लागू करने की कोशिश की, लेकिन निजी संस्थान जिनकी पूरे सिस्टम पर मजबूत पकड़ है, ने इसे पास नहीं करवाने दे रहे हैं। यह अटका हुआ है क्योंकि निजी संस्थान इसमें काफी हद तक शामिल हैं। सिब्बल ने बताया कि देश में विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसर खोलने से संबंधित उन्हें नियंत्रित करने वाला बिल, उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान पर राष्ट्रीय आयोग (एनसीएचईआर) के गठन के लिए एक विधेयक और शैक्षिक कदाचार पर रोक लगाने से संबंधित विधेयक सहित कई शिक्षा विधेयक संसद के समक्ष लंबित हैं। उन्होंने कहा, आप को मेरे दफ्तर में आना चाहिए और संस्थानों को चला रहे लोगों को देखना चाहिए। निश्चित रूप से वे शिक्षा के मामले में कुछ नहीं करना चाहते.. क्योंकि राज्य सरकारों ने उन्हें अनापत्ति प्रमाण पत्र दे रखा है, वे इसका लाभ ले रहे हैं और प्रबंधन संस्थानों से पैसा बना रहे हैं। सिब्बल ने कहा, विधेयक तैयार करने में मुझे एक वर्ष का समय लगा और विधेयक दो वर्षो से संसद में लंबित है। यह तब है जब स्थायी समिति ने इसे अपनी मंजूरी दे दी है। इस स्थायी समिति में सभी राजनीतिक दलों के सदस्य हैं..और समिति के 80 से 90 प्रतिशत सुझावों को स्वीकार कर लिया गया है।