Saturday, April 14, 2012

निजी स्कूलों का जवाब, सरकारी में जाइए जनाब

शुक्रवार सुबह की सबसे बड़ी खबर शिक्षा के अधिकार कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती थी। प्रदेश की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल भी हिसार में आरटीई को सख्ती से लागू करवाने बात कह गईं थीं। 

ऐसे में हमने सोचा क्यों न आरटीई का जमीनी सच परखा जाए। सो भास्कर संवाददाता पहुंचे शहर के दो बड़े स्कूलों में। क्योंकि बात गरीब बच्चे के एडमिशन की करनी थी। इसलिए हमने एक कहानी गढ़ी। हम बन गए इस स्कूल के पास रहने वाले आम आदमी। जो अपने एक गरीब रिश्तेदार के बच्चे का छठी क्लास में एडमिशन करवाना चाहता है। इन स्कूलों में इन आम आदमियों के साथ जो हुआ, उससे साफ हो गया कि सभी को शिक्षा का अधिकार भी दूर की कौड़ी है। 

प्राइवेट स्कूल गरीब या जरूरतमंद बच्चों का एडमिशन लेने को तैयार नहीं। भले ही इसका खर्च सरकार उठाने को तैयार है। मगर स्कूल प्रबंधन अभी इस कानून को लेकर गंभीर नहीं दिख रहे हैं। 

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