Monday, May 14, 2012

प्रदेश के सहकारी बैंकों के 13 सीईओ हटाने का आदेश

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश के 13 जिलों में जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के राज्य सरकार द्वारा नियुक्त सीईओ को हटाने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि सरकार रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देश के मुताबिक इन पदों की नियुक्ति के लिए अखिल भारतीय स्तर पर विज्ञापन जारी कर चार माह में नियुक्ति करे। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता एडवोकेट डीएस मलिक ने कोर्ट को बताया कि राज्य के जिला केंद्रीय सहकारी बैंक करोड़ों रुपये के घाटे में चल रहे थे। इसका कारण इन बैंकों में सरकार द्वारा गैर पेशेवर लोगों को एमडी के पद पर नियुक्ति था। राज्य सरकार ने सहकारिता विभाग के अतिरिक्त रजिस्ट्रार को इन बैंक के एमडी का अतिरिक्त चार्ज दिया था। बैंक क्षेत्र की जानकारी नहीं होने के कारण प्रदेश के 19 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक करोड़ों के घाटे में चले गए। इस स्थिति से निपटने के लिए हरियाणा सरकार ने 2007 में नाबार्ड के एक साथ एक एमओयू साइन किया। इसके तहत नाबार्ड इन बैंकों को वित्तीय
सहायता देगा। इसके लिए तय हुआ कि सरकार इन बैंकों में एमडी की जगह सीईओ नियुक्त करेगी। इनकी नियुक्ति प्रतियोगिता के आधार पर होगी। याचिकाकर्ता के अनुसार सरकार ने एमओयू की शर्त और रिजर्व बैंक के दिशा निर्देश को ताक पर रख कर अपने नियम तय कर 13 सीईओ नियुक्त कर दिए। सरकार ने नियमों में बदलाव कर राज्य में जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के सीईओ के पचास प्रतिशत पद हरको बैंक (हरियाणा स्टेट कोऑपरेटिव बैंक) के अधिकारियों से भरने के लिए संशोधन कर दिया और नियुक्ति दे दी। हाई कोर्ट ने सरकार की इस कार्रवाई पर कड़ा रुख अपनाते हुए सुनवाई के दौरान सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव को कोर्ट में तलब कर कहा कि वह कैसे पचास प्रतिशत पद हरको बैंक के अधिकारियों को प्रतिनिुयक्ति से भर सकते हैं।