Wednesday, May 30, 2012

आईआईटी, एनआईटी और अन्य संस्थानों के लिए इंजीनियरिंग की एक प्रवेश परीक्षा के प्रारूप से नाखुश


इंजीनियरिंग का सिंगल एग्जाम ग्रामीण बच्चों के लिए बनेगा सिरदर्द

आईआईटी, एनआईटी, आईआईआईटी और अन्य केंद्रीय संस्थानों में इंजीनियरिंग की सिंगल प्रवेश परीक्षा के मुद्दे पर नाखुशी के सुर भी सामने आने लगे हैं। पटना की प्रतिष्ठित कोचिंग सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार ने कहा कि सिंगल प्रवेश परीक्षा होने से छात्रों के लिए आईआईटी में दाखिला पाना और मुश्किल हो जाएगा। खास तौर से ग्रामीण तबके के छात्रों को सबसे ज्यादा परेशानी होगी।
कुमार ने कहा कि एम्स जैसे कम सीटों वाले संस्थान में प्रवेश के लिए एक टेस्ट होता है, जबकि उसमें छात्र भी ज्यादा बैठते हैं। वहीं आईआईएम के लिए भी अपना अलग टेस्ट है तो फिर आईआईटी के लिए अलग टेस्ट क्यों नहीं हो सकता है। जो नई व्यवस्था अपनाई जा रही है, वह काफी ऊहापोह वाली है। इससे केवल छात्रों पर दबाव ही बढ़ेगा। कुमार ने यह भी कहा कि 2013 से सिंगल प्रवेश परीक्षा लागू करने से मौजूदा बैच के छात्रों में भ्रम बढ़ेगा। यदि नई प्रणाली लागू की जानी है तो इसे 2014 से लागू किया जाना चाहिए, जिससे छात्रों को पर्याप्त समय मिल सके। उन्होंने कहा कि नए प्रारूप के तहत जेईई मेन और जेईई एडवांस्ड दोनों पेपर एक दिन में होने हैं, ऐसे में छात्रों पर इसका मनोवैज्ञानिक दबाव रहेगा।
एजेंसी
इसलिए बदलाव को लागू करने से पहले इस पर और विचार करने की जरूरत है।
सुपर-30 छात्रों के साथ आनंद कुमार (फाइल फोटो)
12वीं के अंकों को वेटेज दिए जाने पर भी जताया ऐतराज
ज्यादा नंबर लाने के लिए कोचिंग पर निर्भर हो जाएंगे छात्र
सिंगल प्रवेश परीक्षा होने से छात्रों के लिए आईआईटी में दाखिला पाना और मुश्किल हो जाएगा। खास तौर से ग्रामीण तबके के छात्रों को सबसे ज्यादा परेशानी होगी।
-आनंद कुमार
(सुपर-३० के संस्थापक)
क्या है सुपर-30
आनंद कुमार की सुपर 30 कोचिंग में हर साल 30 गरीब मेधावी छात्रों को मुफ्त कोचिंग मुहैया कराई जाती है। एक दशक पहले स्थापित हुई इस कोचिंग से अब तक 263 छात्र आईआईटी में पहुंच चुके हैं। टाइम मैगजीन ने भी उनकी कोचिंग को एशिया में सबसे बेहतरीन बताया है। इस बार के एग्जाम में सुपर-30 के 27 छात्र सफल रहे हैं। उन पर पिछले साल प्रकाश झा ने एक फिल्म भी बनाई थी।
12वीं के अंकों पर फॉर्मूला साफ नहीं
कुमार ने कहा कि दाखिले के लिए अब 12वीं के अंकों को भी महत्व दिया जाएगा। ऐसा करना भी गंभीर चुनौती होगी। 12वीं के अंकों को किस तरह वेटेज दिया जाएगा, इसका फॉर्मूला भी साफ नहीं है क्योंकि हर बोर्ड के नंबर देने के अपने अलग नियम हैं। उन्होंने कहा कि इससे छात्र कोचिंग पर ज्यादा निर्भर हो जाएंगे। ग्रामीण क्षेत्रों मेें जहां स्कूली शिक्षा बेहतर नहीं होती, वहां के बच्चे तो बिना अपनी गलती के ही जेईई एड्वांस्ड में नहीं बैठ पाएंगे।