हरेक ग्रामीण को साक्षर बनाने के लिए जिला प्रशासन ने मुहिम छेड़ी है। पहले चरण में गांवों में अनपढ़ों की पहचान के लिए सर्वे होगा। फिर जुलाई से इनके लिए स्पेशल कक्षाओं का बंदोबस्त किया जाएगा। गांव की चौपाल और सामुदायिक केंद्रों में इन्हें पढ़ाया जाएगा। जिला प्रशासन की ओर से यह कार्य केंद्र सरकार की साक्षर भारत मिशन योजना के तहत किया रहा है। इसके अंतर्गत 15 से 35 साल के आयु वर्ग की महिला एवं पुरुषों को पढ़ाने का प्रावधान है। मगर जिला प्रशासन का कहना है कि इससे बड़ी उम्र के लोग भी इसका फायदा उठा सकते हैं। केंद्र सरकार ने इसके लिए 15 करोड़ से अधिक का बजट मंजूर किया है। किसी कारण वश निरक्षर रहे महिलाओं और पुरुषों को पढ़ाने के लिए जिले के सभी 310 गांवों सर्वे शुरू कर दिया गया है। सर्वे में निरक्षर पाए जाने वालों को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया जाएगा।
इसके लिए हरेक गांव में दो दो प्रेरकों की चयन प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रत्येक गांव के लिए एक महिला व एक पुरुष प्रेरक की नियुक्ति की जा रही है। यही प्रेरक जुलाई से गांव अनपढ़ महिलाओं और पुरुषों को पढ़ाने का काम करेंगे।
गांव में सभी साक्षर हो। इसी उद्देश्य के साथ यह योजना बनाई है। जुलाई से इन लोगों की पढ़ाई शुरू हो जाएगी। अभी प्रेरकों की नियुक्तियों व निरक्षर लोगों के सर्वे की प्रक्रिया चल रही है। गांव में सभी शिक्षित होंगे तो वे अपने अधिकारों के प्रति सजग भी होंगे और उन्हें सरकारी योजनाओं के बारे में जानने में सहुलियत होगी।""
अशोक कुमार गर्ग, एडीसी, हिसार
वर्ष 2011.12 की जनगणना के अनुसार गांव की 28 प्रतिशत जनसंख्या अभी भी निरक्षर है। इनमें 40 फीसदी महिलाएं, 17 फीसदी पुरुष। सारक्षता दर 76.64 प्रतिशत है। इनमें 85.38 प्रतिशत पुरुष और 66.77 प्रतिशत महिलाएं हैं।
साक्षर भारत मिशन के तहत जिले में करीब 620 प्रेरक नियुक्त होंगे। प्रत्येक गांव में लिए दो दो प्रेरक लगाए जाएंगे। इनमें एक महिला और एक पुरुष होगा। इन्हें दो- दो हजार रुपए का मासिक वेतन दिया जाएगा। |