ईपीएफओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि ईपीएफओ की पेंशन स्कीम में 20 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारी को दो वर्ष का बोनस देने का प्रावधान है।
स्कीम के तहत ईपीएफ के ग्राहकों को यह लाभ 2016 से मिलना शुरू होगा। ऐसे में स्कीम के इस प्रावधान को हटाकर न्यूनतम पेंशन बढ़ाई जा सकती है। अधिकारी के मुताबिक वैसे तो श्रम मंत्रालय खुद ही इस प्रावधान को हटाने का फैसला कर सकता है, लेकिन पेंशन स्कीम में सरकार के योगदान को देखते हुए वित्त मंत्रालय की सहमति हासिल करने का फैसला किया गया है। अधिकारी के मुताबिक मई में होने वाली सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्ट की बैठक में न्यूनतम पेंशन बढ़ाने के प्रस्ताव पर नए सिरे से विचार किया जा सकता है। इससे पहले ईपीएफओ की फैसले लेेने वाली शीर्ष संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (सीबीटी) ने न्यूनतम पेंशन बढ़ाने के तौर-तरीके तय करने के लिए एक समिति का गठन किया था। ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधियों और नियोक्ता संगठनों के बीच इस मुद्दे पर सहमति न बन पाने के कारण सीबीटी ने इस मुद्दे पर फैसला टाल दिया था।
ईपीएफओ ने कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) 95 की विसंगतियों को दूर करने के लिए न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की योजना बनाई थी।
मौजूदा समय में ईपीएस के बहुत से पेंशनधारकों को 50 रुपए से भी कम पेंशन प्रतिमाह मिल रही है। न्यूनतम पेंशन बढ़ाने पर पडऩे वाले अतिरिक्त बोझ उठाने पर सरकार या नियोक्ता संगठनों के राजी न होने के कारण इस पर फैसला नहीं हो पा रहा है। प्रस्ताव के मुताबिक न्यूनतम पेंशन बढ़ाकर 1,००० रुपए करने पर लगभग 600 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। मौजूदा समय में ईपीएफओ के कुल 35 लाख पेंशनधारक हैं। इसमें से 14 लाख पेंशनधारकों को 500 रुपए से भी कम पेंशन मिल रही है।
योजना
> ईपीएफओ अपने पेंशनधारकों की न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपए करने पर जल्द करेगा फैसला
> फिलहाल 35 लाख पेंशनधारकों में से 14 लाख को 500 रुपए से भी कम पेंशन मिलती है