Saturday, May 5, 2012

जेबें हल्की बस्ते भारी

> अधिकतर निजी स्कूलों में पढ़ाई जा रही निजी प्रकाशकों की किताबें > एनसीईआरटी की सस्ती किताबें दरकिनार > अभिभावकों की जेबों पर पड़ रहा बोझ > कोर्ट ने दे रखे हैं एनसीईआरटी की किताबें लागू करने के निर्देश 

स्कूल संचालकों ने एनसीईआरटी की किताबें हाशिये पर रखी हुई हैं। इन किताबों की कीमतें कम हैं, मगर अधिकतर प्राइवेट स्कूलों में निजी प्रकाशकों की किताबें पढ़ाई जा रही हैं। मनमजी से सिलेबस में शुमार प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें एनसीईआरटी की किताबों के मुकाबले चार से पांच गुना महंगी हैं।इसके पीछे कमीशन का 'खेल' भी है। पुस्तक विक्रेताओं की मानें तो बड़े प्रकाशक नामी स्कूलों से सीधी डील करते हैं। इसका सीधा बोझ अभिभावकों की जेब पर पड़ रहा है। हाई कोर्ट ने तीन दिन पहले स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें लागू करने के निर्देश दिए हैं। 


इससे अभिभावकों को भले ही थोड़ी राहत मिली हो, लेकिन हकीकत अभी कोसों दूर है। प्रशासन मौन है और सरकार भी। निजी प्रकाशकों की इन किताबों का सिलेबस एनसीईआरटी की किताबों से ही मिलता जुलता है। मगर अलग अलग नामों से प्रकाशित कर इनकी ज्यादा कीमतें वसूली जा रही हैं। 

॥प्राइवेट स्कूल संचालक जानबूझ कर प्राइवेट प्रकाशकों की बुक्स लागू करते हैं। कई स्कूलों में तो नर्सरी कक्षाओं की किताबें भी एनसीईआरटी की बड़ी कक्षाओं की किताबों से भी महंगी है। यह सारा कमीशन का खेल है। जिसका खामियाजा अभिभावकों को भुगतना पड़ता है। इस मुद्दे को 13 मई को होने वाली अभिभावक मंच की बैठक में प्रमुखता से उठाया जाएगा।ञ्जञ्ज 

त्रिलोक बंसल,सचिव, अभिभावक मंच 

॥हरियाणा शिक्षा बोर्ड ने पहले ही एनसीईआरटी की बुक्स लागू कर रखी है। अगर प्राइवेट स्कूलों में अन्य प्रकाशकों की किताबें पढ़ाई जा रही हैं तो यह गलत है। इस बारे में शीघ्र ही अधिकारियों से बातचीत करते हुए सख्त कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट का निर्णय सभी स्कूलों पर लागू होगा।ञ्जञ्ज 

गीता भुक्कल, शिक्षा मंत्री। 

विषय नाम कीमत रुपयों में 

इंग्लिश ऑक्सफोर्ड पाथवे (लिटरेचर) 210 

ऑक्सफोर्ड ग्रामर 128 

ऑक्सफोर्ड (क्लास बुक) 107 

हिंदी बसंत भाग एक 35 

व्याकरण लतिका 140 

बाल राम कथा 92 

गणित मैथमेटिक्स 35 

लैब मेनुअल 90 

सोशल साइंस रेडिएंट सोशल साइंस 225 

सामान्य ज्ञान क्यूस्ट फॉर दी बेस्ट 175 

मोरल साइंस बिल्डिंग ब्रिज 75 

कंप्यूटर विंडो पार्ट 140 

आर्ट एंड क्राफ्ट आर्ट प्लस 184 

संस्कृत दीप मणिका 120 

मणिका संस्कृत व्याकरण 76 

प्राइवेट स्कूलों में सबसे ज्यादा घालमेल प्राथमिक कक्षाओं की किताबों में है। इन कक्षाओं में एनसीईआरटी की तरफ से केवल चार विषयों की किताबें ही स्वीकृत हैं। फिर भी अधिकांश स्कूलों में कंप्यूटर, जरनल नॉलेज, मोरल साइंस और ड्राइंग सहित अन्य विषयों की किताबें लागू की जा रही हैं। इन किताबों की कीमतें भी ज्यादा हैं। ये प्रति छात्र औसतन आठ सौ से एक हजार रुपए में पड़ती है। इस राशि से एनसीईआरटी की सेकंडरी कक्षाओं की किताबें खरीदी जा सकती हैं। 

पुस्तक विक्रेताओं की मानें तो अब पब्लिशर्स सीधे स्कूलों से ही डील कर रहे हैं। इससे पहले छात्र किसी पुस्तक विक्रेता से किताबें खरीदते थे। इस खरीद में बुक सेलर्स का कमीशन मिलता था, मगर वे सेल बढ़ाने के लिए छात्रों को ज्यादा छूट देते थे। अब पब्लिशर्स सारा कमीशन स्कूलों को देते हैं। 

प्राइवेट प्रकाशकों की अधिकांश किताबों का सिलेबस एनीईआरटी से ही लिया गया है। इनमें सबजेक्ट से संबंधित क्वेश्चन सॉल्व किए गए हैं। जिनके नाम पर कीमतें अधिक बताई जा रही हैं। एक ही सबजेक्ट अलग किताबों में विभाजित किया है। इसलिए छात्रों को मजबूरीवश हर किताब खरीदनी पड़ती है। 

॥बाजार में एनसीईआरटी की बुक्स की जबरदस्त कमी है। इसलिए स्कूल संचालकों को मजबूरन प्राइवेट पब्लिशर्स की बुक्स लगानी पड़ती है। अगर स्कूल एनसीईआरटी की बुक्स का इंतजार करें तो सेक्शन दो से तीन महीने लेट हो जाएगा।ञ्जञ्ज 

हरीश सचदेवा, प्राचार्य, दिल्ली पब्लिक स्कूल। 

नोट: एनसीईआरटी की इसी कक्षा की सभी किताबों की कीमतें 35 से 45 रुपए के आसपास है। केवल हिंदी, इंग्लिश, गणित, सामाजिक, विज्ञान और संस्कृत की किताबें ही स्वीकृत हैं।