कनाडा की मेक्मास्टर यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने पता लगाया है कि छोटे बच्चों को संगीत सिखाना बहुत लाभप्रद होता है। उनका कहना है कि छोटे बच्चों को बोलना या चलना सीखने से पहले संगीत का अनुभव कराने से उनके विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने अपने अध्ययन में पता लगाया कि जिन एक साल के शिशुओं ने अपने अभिभावकों के साथ संगीत की कक्षाओं में भाग लिया, वे अपने आसपास के माहौल के साथ बेहतर ढंग से खुद को अभिव्यक्त करते हैं। संगीत के प्रति उनके मस्तिष्क की प्रतिक्रिया उच्च स्तर की होती है।
मेक्मास्टर इंस्टीट्यूट फॉर म्यूजिक एंड द माइंड के निदेशक लारेल ट्राइनोर का कहना है कि यह पहला अवसर है, जब शिशुओं पर संगीत का प्रभाव जानने की कोशिश की गई है। रिसर्च से पता चलता है कि शिशुओं का मस्तिष्क संगीत को ग्रहण करने के मामले में ज्यादा लचीला व संवेदनशील होता है। शिशुओं में संगीत प्रशिक्षण के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए ट्राइनोर और एक अन्य संगीत शिक्षक डेविड गेरी को 2008 में ग्रामी फाउंडेशन द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है।
हाल ही में किए गए अध्ययन में शिशुओं और उनके अभिभावकों ने साप्ताहिक संगीत कक्षाओं में करीब छह महीने बिताए थे। एक संगीत कक्षा में अभिभावकों और शिशुओं ने वाद्य यंत्रों का प्रयोग करना सीखा और बारी-बारी से खास नर्सरी राइम और गीत गाए। दूसरी संगीत कक्षा में शिशुओं व अभिभावकों को खिलौनों से खेलते हुए लोकप्रिय संगीत की रिकॉर्डिंग्स सुनाई गईं। जिन शिशुओं ने अपने अभिभावकों के साथ पहली सक्रिय अथवा इंटरएक्टिव संगीत कक्षा में भाग लिया, उन्होंने संगीत को समझने में ज्यादा संवेदनशीलता दिखलाई। उन्होंने पियानो जैसे वाद्ययंत्रों को सुनने की इच्छा जाहिर की। दूसरी तरफ सिर्फ संगीत की रिकॉर्डिंग सुनने वाले शिशुओं ने ऐसी कोई खास पसंद जाहिर नहीं की। संगीत के प्रति उनके मस्तिष्क की प्रतिक्रिया भी अलग ढंग से हुई। इस अध्ययन का मुख्य निष्कर्ष यह है कि सक्रिय संगीत शिशुओं के विकास में बहुत बड़ा फर्क डाल सकता है।
मेक्मास्टर इंस्टीट्यूट फॉर म्यूजिक एंड द माइंड के निदेशक लारेल ट्राइनोर का कहना है कि यह पहला अवसर है, जब शिशुओं पर संगीत का प्रभाव जानने की कोशिश की गई है। रिसर्च से पता चलता है कि शिशुओं का मस्तिष्क संगीत को ग्रहण करने के मामले में ज्यादा लचीला व संवेदनशील होता है। शिशुओं में संगीत प्रशिक्षण के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए ट्राइनोर और एक अन्य संगीत शिक्षक डेविड गेरी को 2008 में ग्रामी फाउंडेशन द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है।
हाल ही में किए गए अध्ययन में शिशुओं और उनके अभिभावकों ने साप्ताहिक संगीत कक्षाओं में करीब छह महीने बिताए थे। एक संगीत कक्षा में अभिभावकों और शिशुओं ने वाद्य यंत्रों का प्रयोग करना सीखा और बारी-बारी से खास नर्सरी राइम और गीत गाए। दूसरी संगीत कक्षा में शिशुओं व अभिभावकों को खिलौनों से खेलते हुए लोकप्रिय संगीत की रिकॉर्डिंग्स सुनाई गईं। जिन शिशुओं ने अपने अभिभावकों के साथ पहली सक्रिय अथवा इंटरएक्टिव संगीत कक्षा में भाग लिया, उन्होंने संगीत को समझने में ज्यादा संवेदनशीलता दिखलाई। उन्होंने पियानो जैसे वाद्ययंत्रों को सुनने की इच्छा जाहिर की। दूसरी तरफ सिर्फ संगीत की रिकॉर्डिंग सुनने वाले शिशुओं ने ऐसी कोई खास पसंद जाहिर नहीं की। संगीत के प्रति उनके मस्तिष्क की प्रतिक्रिया भी अलग ढंग से हुई। इस अध्ययन का मुख्य निष्कर्ष यह है कि सक्रिय संगीत शिशुओं के विकास में बहुत बड़ा फर्क डाल सकता है।