बदल दी लेक्चरर की योग्यता
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लगातार फेल होने से भड़के छात्रों का प्रदर्शन
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निजी डिग्री कालेजों के विभिन्न विवि से होने वाले व्यापारिक समझौते के तहत फर्जी डिग्री मिलती हैं, जिसमें विद्यार्थियों को न तो कोई क्लास अटैंड करनी होती है और न ही परीक्षा देनी होती है। अब तय दाम नकद दिए जाते हैं और व्यक्ति बन जाता है बीए, एमए पास। जानकार बताते हैं कि 20 हजार से 50 हजार रुपए तक में यह डिग्री दी जाती है। बाद में इनमें से कुछ लोग जोड़-तोड़ कर नौकरी भी पा जाते हैं।
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जीजेयू से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री लेने का सपना दिल्ली के विद्यार्थियों को रास नहीं आया। दूरस्थ शिक्षा के करीब सौ विद्यार्थी फेल हो गए। किसी को जीरो नंबर मिला तो किसी को तीन या चार। मूल्यांकन प्रणाली से आहत ये विद्यार्थी 185 किलोमीटर का सफर तय कर शुक्रवार को दिल्ली से हिसार पहुंचे। दो बसों में अपने अभिभावकों के साथ आए विद्यार्थियों ने कुलपति दफ्तर के आगे प्रदर्शन कर अपने गुस्से और गम का इजहार किया। इस दौरान सुरक्षाकर्मियों से नोकझोंक भी हुई। छात्राएं इतनी आहत थीं, वे अपने आंसू भी नहीं रोक पाईं। काफी जद्दोजहद के बाद जीजेयू के अधिकारियों ने 17 मई को उनकी कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन कराने का भरोसा दिया। अभिभावक और विद्यार्थी इस जवाब से असंतुष्ट होकर लौट गए।
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शिक्षा विभाग में फर्जी डिग्री लेकर नौकरी एवं उसके बाद पदोन्नति हासिल करने का खेल अब और नहीं चलेगा। शिक्षा निदेशालय ने करीब एक साल में विभाग में हुई शिक्षकों एवं विभागीय लिपिकों की नियुक्ति के दौरान दी गई डिग्री की अब जांच करने का फैसला किया है। इस विभागीय कार्रवाई की पुष्टि मौलिक शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक अश्वनी कुमार ने की है। उनके अनुसार लगातार मिल रही शिकायतों के बाद विभाग गंभीर है। जिस पर विभिन्न स्तरों पर जांच प्रक्रिया शुरू की गई है। कुछ मामलों में विजिलेंस क्राइम ब्रांच को भी मामला सौंपा गया है। जो दोषी होगा, उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी। इस मामले में डीईओ सुमनलता अरोड़ा एवं बीईओ कुलदीप दहिया ने अपनी व्यस्तता बताते हुए जानकारी देने में असमर्थता जाहिर की। विभागीय सूत्रों के अनुसार विभाग में बीते माह एक शिकायत पहुंची, जिसमें फर्जी डिग्री के आधार पर नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों एवं विभागीय कर्मचारियों की जानकारी दी गई। शिकायत में यह भी बताया गया नौकरी कर रहे शिक्षकों की डिग्री अवैध है। विभाग ने पहली नजर में ही शिकायत पर जांच शुरू कर दी। शिकायत में दम नजर आने के बाद अब विभाग ने सभी शिक्षा अधिकारियों से कहा है कि वे हाल ही में लगे शिक्षकों की डिग्री की जांच करें। जांच के दौरान सभी शिक्षकों से मूल प्रमाण पत्र लिए जाएं तथा प्रमाण पत्रों को संबंधित विवि में भी भेजा जाए।
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विकास बत्तान त्नकुरुक्षेत्र
स्कूल लेक्चरर में आवेदन करने की आस लगाए बैठे प्रदेशभर के हजारों एमए पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के विद्यार्थियों के लिए प्रदेश सरकार ने नौकरी के दरवाजे बंद कर दिए हैं। प्रदेश सरकार ने अभी हाल ही में जारी हुए गजट नोटिफिकेशन में राजनीतिक विज्ञान विषय के स्कूल लेक्चरर की जरूरी योग्यता में बड़ा बदलाव कर दिया है। जिसके चलते एमए पब्लिक एडमिनिस्ट्रिेशन करने वाले विद्यार्थी स्कूल लेक्चरर में आवेदन ही नहीं कर पाएंगे। कुछ समय के बाद स्कूल लेक्चरर के पदों को विज्ञापित किया जाना है। ऐसे में गजट नोटिफिकेशन ने विद्यार्थियों को जोर का झटका धीरे से दे दिया है। पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन विषय की अनदेखी इस विषय से हटाकर ही नहीं की गई बल्कि पब्लिक एड विषय को ही गजट नोटिफिकेशन में शामिल नहीं किया गया। जिससे विद्यार्थियों में रोष है और उन्होंने सवाल भी उठाया है कि अगर इस विषय को सरकारी नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाना है तो फिर हजारों विद्यार्थियों को गुमराह क्यों किया गा।
पहले यह थी योग्यता
राजनीतिक विज्ञान विषय का लेक्चरर लगने की जरूरी योग्यता में पहले एमए राजनीतिक विज्ञान या पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन दोनों विषयों में से एक जरूरी होता था। जिससे पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन करने वाले विद्यार्थियों को स्कूल लेक्चरर के लिए आवेदन करने की छूट थी। यह सिलसिला अभी तक जारी था। 11 अपै्रल 2012 को प्रदेश सरकार ने एक नया गजट नोटिफिकेशन निकाला । जिसमें इस पद की योग्यता को ही बदल दिया गया। नोटिफिकेशन में अब केवल एमए राजनीतिक विज्ञान विषय के विद्यार्थियों को ही इस पद के लिए आवेदन करने के लिए योग्य बताया गया है। इससे पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन विषय से एमए करने वाले हजारों विद्यार्थी अयोग्य हो गए हैं।
हिसार. छात्रों और अभिभावकों को यूनिवर्सिटी गेट से ही निकलना पड़ा।
फर्जी डिग्री काम की नहीं
जगन्नाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड साइंस (जिम्स) दिल्ली के रोहिणी में है। जो दूरस्थ शिक्षा के तहत जीजेयू से संबद्ध है। यहां मैनेजमेंट और कंघ्यूटर साइंस के कोर्स भी कराए जाते हैं। आरोप है बीसीए और एमसीए का कोर्स कर रहे करीब 100 विद्यार्थी एक से दो विषयों में फेल है। नंबर भी काफी कम हैं। |