हरियाणा हिंदी स्कूल लेक्चरर की नौकरी के लिए 2006 में परीक्षा देकर भी जिन उम्मीदवारों का चयन नहीं हुआ था, अब उनकी किस्मत जाग गई है। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने द्वारा जिन उम्मीदवारों की लिखित परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं खुर्दबुर्द कर दी गई थीं, उसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को फटकार लगाते हुए उम्मीदवारों की फिर से लिखित परीक्षा और साक्षात्कार लेने के आदेश दिए हैं। इस प्रक्रिया से जिनका चयन होगा, उन्हें परिणाम घोषित होने वाली तिथि को विभाग में खाली पदों पर नियुक्ति दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह काम चार महीने के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
अनुसूचित जाति की एमए, एमफिल और पीएचडी धारक पूनम रानी ने भी 20 जुलाई 2006 को जारी विज्ञापन के अनुसार आवेदन किया था। इसकी लिखित परीक्षा का परिणाम 20 जून 2008 को घोषित किया गया। पूनम ने आयोग से लिखित परीक्षा के नंबर पूछे तो उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई। उधर आयोग ने साक्षात्कार के बाद 13 अक्तूबर 2008 को परिणाम घोषित कर दिया और 12 दिन बाद 25 अक्तूबर 2008 को उत्तर पुस्तिकाएं जला दी।
सुप्रीम कोर्ट में आयोग के सचिव पीडी वर्मा ने जवाब दिया कि पूनम के लिखित परीक्षा में 94 अंक और साक्षात्कार में 23 अंक (कुल अंक 117) थे, जबकि अनुसूचित जाति के कट आफ मार्क्स 119 थे, इसलिए पूनम का चयन नहीं हुआ।
सुप्रीम कोर्ट में आयोग के सचिव पीडी वर्मा ने जवाब दिया कि पूनम के लिखित परीक्षा में 94 अंक और साक्षात्कार में 23 अंक (कुल अंक 117) थे, जबकि अनुसूचित जाति के कट आफ मार्क्स 119 थे, इसलिए पूनम का चयन नहीं हुआ।
जस्टिस जीएस सिंघवी और जस्टिस सुधांशू ज्योति मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने एक मई 2012 को फैसला सुनाया कि परिणाम घोषित होने के चंद दिनों बाद उत्तर पुस्तिकाएं खुर्दबुर्द करना आयोग के फैसले का ही उल्लंघन है। अब सुप्रीम कोर्ट भी उत्तर पुस्तिका नहीं देख सकता। अकेले पूनम की ताजा चयन प्रक्रिया शुरू करना ठीक नहीं होगा, इसलिए जो उम्मीदवार असफल रहे थे और वे अज्ञानतावश या पैसे की कमी के चलते हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी नहीं आ सके थे। आयोग उन सभी को समय रहते सूचित कर लिखित परीक्षा और साक्षात्कार ले।
अध्यक्ष, हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष विजय चुघ ने कहा कि
मुझे सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी नहीं है।