हिसार निवासी धर्मवीर ने हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से बोर्ड से बारहवीं के एग्जाम दिए थे। एग्जाम अच्छे हुए थे। धर्मवीर को विश्वास था कि वह बारहवीं में बढिय़ा अंकों से पास हो जाएगा। इसी उम्मीद के साथ उसने वीएलडी के लिए आवेदन कर दिया। मगर जब बारहवीं का रिजल्ट आया तो उसकी अंग्रेजी विषय में कंपार्टमेंट आई। धर्मवीर ने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया तो पता चला कि प्रक्रिया में एक महीने से ज्यादा का समय लगेगा। तब तक वीएलडी की काउंसिलिंग हो चुकी होगी।
महम निवासी ललित के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। ललित ने बोर्ड से दसवीं की परीक्षा दी थी। उसके अभी एग्जाम बढिय़ा हुए थे, तो डीईटी के लिए आवेदन कर दिया और उसमें अच्छा रैंक आया। मगर इधर दसवीं का रिजल्ट आने पर पता चला कि एक विषय में कंपार्टमेंट है। पुनर्मूल्यांकन के लिए अप्लाई किया, तो पता चला कि इस प्रक्रिया में एक महीने से ज्यादा का समय लग जाएगा। तब तक डीईटी की काउंसिलिंग प्रक्रिया खत्म हो चुकी होगी। ललित को लगता है कि उसका यह साल बर्बाद हो जाएगा। यह बात सिर्फ धर्मवीर या ललित की नहीं है, बल्कि उन सैकड़ों परीक्षार्थियों की है, जिन्होंने दसवीं या बारहवीं की परीक्षा के बाद विभिन्न महाविद्यालयों व यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए परीक्षा दी हुई है और जिनके करियर पर बोर्ड का यह नियम भारी पड़ रहा है। परीक्षार्थियों की यह मांग है कि इस प्रक्रिया को कम से कम समय में निपटाया जाए, ताकि परीक्षार्थियों को साल बर्बाद होने से बच जाए। बारहवीं का परिणाम घोषित हुए अभी सात दिन और दसवीं का परिणाम आए 12 दिन बीते है और अभी तक एक हजार से ज्यादा परीक्षार्थी पुनर्मूल्यांकन व पुनर्जांच के लिए आवेदन कर चुके है, जबकि अभी आवेदन करने की अंतिम तिथि में काफी दिन बचे है। पुनर्मूल्यांकन की फीस प्रति विषय एक हजार और पुनर्जांच की फीस प्रति विषय 200 रुपये निर्धारित की गई है। पुनर्मूल्यांकन में यदि परीक्षार्थी दस फीसदी से ज्यादा अंक बढ़ते है और आधी फीसदी परीक्षार्थी को लौटा दी जाती है।
शिक्षा बोर्ड के नियम के मुताबिक कोई भी परीक्षार्थी परिणाम घोषित होने के एक महीने की अवधि तक पुनर्मूल्यांकन व पुनर्जांच के लिए आवेदन कर सकता है। सभी आवेदन आने के बाद ही पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा। अगर किसी परीक्षार्थी को जल्दी पुनर्मूल्यांकन कराना है, तो इसके लिए बोर्ड में कोई प्रावधान नहीं है।
॥इस प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम नहीं किया जा सकता। पुनर्मूल्यांकन में परीक्षार्थी की कॉपी को एग्जामिनर के पास भेजा जाता है। इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है। साथ ही बोर्ड में स्टाफ की कमी भी है और पुनर्मूल्यांकन व पुनर्जांच के लिए आवेदन करने वाले परीक्षार्थियों की संख्या भी काफी ज्यादा होती है।ञ्जञ्ज
महेंद्र सिंह, सचिव, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड।
महम निवासी ललित के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। ललित ने बोर्ड से दसवीं की परीक्षा दी थी। उसके अभी एग्जाम बढिय़ा हुए थे, तो डीईटी के लिए आवेदन कर दिया और उसमें अच्छा रैंक आया। मगर इधर दसवीं का रिजल्ट आने पर पता चला कि एक विषय में कंपार्टमेंट है। पुनर्मूल्यांकन के लिए अप्लाई किया, तो पता चला कि इस प्रक्रिया में एक महीने से ज्यादा का समय लग जाएगा। तब तक डीईटी की काउंसिलिंग प्रक्रिया खत्म हो चुकी होगी। ललित को लगता है कि उसका यह साल बर्बाद हो जाएगा। यह बात सिर्फ धर्मवीर या ललित की नहीं है, बल्कि उन सैकड़ों परीक्षार्थियों की है, जिन्होंने दसवीं या बारहवीं की परीक्षा के बाद विभिन्न महाविद्यालयों व यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए परीक्षा दी हुई है और जिनके करियर पर बोर्ड का यह नियम भारी पड़ रहा है। परीक्षार्थियों की यह मांग है कि इस प्रक्रिया को कम से कम समय में निपटाया जाए, ताकि परीक्षार्थियों को साल बर्बाद होने से बच जाए। बारहवीं का परिणाम घोषित हुए अभी सात दिन और दसवीं का परिणाम आए 12 दिन बीते है और अभी तक एक हजार से ज्यादा परीक्षार्थी पुनर्मूल्यांकन व पुनर्जांच के लिए आवेदन कर चुके है, जबकि अभी आवेदन करने की अंतिम तिथि में काफी दिन बचे है। पुनर्मूल्यांकन की फीस प्रति विषय एक हजार और पुनर्जांच की फीस प्रति विषय 200 रुपये निर्धारित की गई है। पुनर्मूल्यांकन में यदि परीक्षार्थी दस फीसदी से ज्यादा अंक बढ़ते है और आधी फीसदी परीक्षार्थी को लौटा दी जाती है।
शिक्षा बोर्ड के नियम के मुताबिक कोई भी परीक्षार्थी परिणाम घोषित होने के एक महीने की अवधि तक पुनर्मूल्यांकन व पुनर्जांच के लिए आवेदन कर सकता है। सभी आवेदन आने के बाद ही पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा। अगर किसी परीक्षार्थी को जल्दी पुनर्मूल्यांकन कराना है, तो इसके लिए बोर्ड में कोई प्रावधान नहीं है।
॥इस प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम नहीं किया जा सकता। पुनर्मूल्यांकन में परीक्षार्थी की कॉपी को एग्जामिनर के पास भेजा जाता है। इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है। साथ ही बोर्ड में स्टाफ की कमी भी है और पुनर्मूल्यांकन व पुनर्जांच के लिए आवेदन करने वाले परीक्षार्थियों की संख्या भी काफी ज्यादा होती है।ञ्जञ्ज
महेंद्र सिंह, सचिव, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड।
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