Saturday, April 21, 2012

सुप्रीम कोर्ट- राह भटक गई दूर की शिक्षा

दूर के ढोल बेशक कानों को सुकून देते हों पर दूर की शिक्षा अब रातों की नींद उड़ा रही है। कारण, एकमात्र। विकृतियों की वजह से नेक मंशा का मंजिल की राह से भटक जाना। लाजिमी तौर पर इस दूरवर्ती शिक्षा के साथ कई यक्ष प्रश्न जुड़ गए हैं। ये सवाल देशभर में व्याप्त दूरवर्ती शिक्षा व्यवस्था के औचित्य को कटघरे में ला रहे हैं। हकीकत तो यह है कि देशभर के कई प्रांतों के विश्र्वविद्यालयों ने कोने-कोने में दूरवर्ती शिक्षा के स्टडी सेंटर प्राइवेट संस्थानों के हाथों में सौंप दिये।
सेंटर के सब-सेंटर खुल गए। अकेली महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी के कुल 1547 स्टडी सेंटर खुले और इन सेंटरों की भी 8हजार, 812 शाखाएं खुल गई। हिसार स्थित गुरु जंभेश्र्वर साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी भी पीछे नहीं रही। इस विश्र्वविद्यालय के दूरवर्ती शिक्षा विभाग ने हरियाणा व राज्य के बाहर कुल 156 स्टडी सेंटर खोल लिये। राज्य में 72 तो राज्य से बाहर 84। हालांकि एमडीयू के राज्य से बाहर स्टडी सेंटर तो बंद हो गये मगर गुरु जंभेश्र्वर विश्र्वविद्यालय के लगभग सभी सेंटर आज भी चल रहे हैं। यह भी सच है कि यशपाल बनाम छत्तीसगढ़ स्टेट के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले तथा राज्य सरकार के निर्देश के आलोक में विश्र्वविद्यालयों ने स्टडी सेंटरों को समेटना शुरू कर दिया है। गुरु जंभेश्र्वर विश्र्वविद्यालय के वाइस चांसलर एमएल रंगा बताते हैं कि पुराने स्टडी सेंटरों को बंद कर रहे हैं और नया खोल नहीं रहे। उनका कहना है कि विश्र्वविद्यालय प्रशासन ने नया नहीं खोलने का निर्णय लिया है। बहरहाल, दूरवर्ती शिक्षा व्यवस्था से लाभ उठाने वालों के भविष्य फिलहाल भंवर में गोते लगा रहे हैं।