Monday, April 16, 2012

जेब पर ट्यूशन की कैंची

प्रदेश में टॉप करना है, कीमत बस एक लाख रुपये। यह बोली डिग्री की नहीं, बल्कि ट्यूशन के वार्षिक पैकेज हैं। जी हां, नए सत्र में अभिभावकों की जेब पर कैंची चलाने के लिए ट्यूशन के नए रेट तैयार हो चुके हैं। बच्चा सभी विषयों को पढ़ना चाहता है तो वार्षिक पैकेज एक लाख रुपये से भी ऊपर तक जा सकता है। वहीं प्रति विषय यह कीमत मासिक तीन से पांच हजार रुपये है।
सबसे ज्यादा फीस गणित, बिजनेस स्टडीज, अर्थशास्त्र, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, अंग्रेजी व जीवविज्ञान आदि विषय के हैं। इन विषयों को पढ़ाने के लिए अधिकतर शिक्षक स्कूलों से संबंध रखते हैं। बच्चे पहले ही शिक्षकों से तय कर लेते हैं कि वह किस दाम पर बच्चों को पढ़ाएंगे। वर्तमान समय में ट्यूशन पढ़ाने का व्यवसाय लाखों रुपये का बन चुका है। इस व्यवसाय से ज्यादातर निजी स्कूल के नामी शिक्षक जुड़े हुए हैं। वहीं कई शिक्षकों ने ट्यूशन पढ़ाने के लिए स्कूल की नौकरी छोड़ कर इस व्यवसाय में अपना कार्य शुरू कर दिया है। इस संबंध में विद्यार्थियों का कहना है कि स्कूल के शिक्षकों से पढ़ने से शिक्षक कक्षाओं में भी विशेष ध्यान रखते हैं साथ ही प्रायोगिक परीक्षाओं में भी विशेष मदद कर देते हैं जिससे बोर्ड कक्षाओं में भी काफी फायदा हो जाता है। इस संबंध में शिक्षकों को कहना है कि निजी स्कूल में स्तर के आधार पर वेतन नहीं दिया जाता जिस कारण शिक्षकों को ट्यूशन पढ़ना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि ट्यूशन में पढ़ने वाले बच्चों पर ही शिक्षक विशेष ध्यान देते हैं। गिरता है शिक्षक का स्तर शिक्षक द्वारा ट्यूशन पढ़ाने से शिक्षक का स्तर गिरता है। शिक्षक व विद्यार्थी के बीच एक विशेष रिश्ता होता है। यदि इसमें क्रेता व विक्रेता का भाव जाग जाए तो पेशे का स्तर गिर जाता है। हरियाणा लेक्चरर एसोसिएशन के जिला प्रधान महिपाल पूनिया ने बताया कि शिक्षकों द्वारा ट्यूशन पढ़ाने पर पूरी तरह प्रतिबंध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अकसर देखा गया है कि जो शिक्षक ट्यूशन पढ़ता है वह अपने बच्चों पर ही विशेष ध्यान देता है जबकि अन्य पर नहीं। शिक्षकों को हर बच्चे के साथ समान व्यवहार करना चाहिए। उनके लिए उनके विद्यार्थी भी अपने बच्चे के समान होने चाहिए।

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