Tuesday, April 24, 2012

दाखिला देना ही पड़ेगा : हाईकोर्ट


आर्थिक रूप से कमजोर किसे माना जाए। शिक्षा के अधिकार को कड़ाई से लागू किए जाने की मांग को लेकर दाखिल एक जनहित याचिका पर सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट नेे यह सवाल हरियाणा सरकार के वकील से किया। संतोषजनक जवाब न मिलने पर जस्टिस एमएम कुमार व जस्टिस आलोक सिंह की खंडपीठ ने बुधवार के लिए मामले पर अगली सुनवाई तय की है। खंडपीठ ने साथ ही स्पष्ट कर दिया कि हरियाणा के मान्यता प्राप्त स्कूलों में आॢथक पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित किए जाने पर निजी स्कूलों को कोई राहत नहीं दी जा सकती। खंडपीठ ने इस संबंध में निजी स्कूलों की याचिका को खारिज कर दिया।

अदालत ने कहा कि सभी स्कूलों को सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश व हरियाणा स्कूली शिक्षा बोर्ड के नियम अनुसार आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चों को दाखिला देना होगा।
अदालत में सुनवाई के दौरान याची पक्ष की तरफ से कहा गया कि हरियाणा में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में केवल बीपीएल कार्ड धारकों को ही दाखिला दिया जा रहा है जबकि बीपीएल व आर्थिक रूप से कमजोर दोनो अलग अलग श्रेणी है। कोर्ट ने इस सवाल पर हरियाणा सरकार के वकील से जवाब मांगा तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इस पर अदालत ने बुधवार के लिए सुनवाई तय करते हुए जवाब मांगा है। मामले को लेकर हाईकोर्ट में अलग अलग याचिकाएं दाखिल की गई हैं जिनमें मांग की गई है कि शिक्षा के अधिकार व आर्थिक रूप से कमजोर के लिए आरक्षित सीटों का लाभ छात्रों को मिले।