जिले में 100 से ज्यादा शिक्षक ऐसे हैं जो फर्जी तबादला पत्र के आधार पर पिछले 10 सालों से ड्यूटी कर रहे हैं। मसला पुराना हो चुका था, इसलिए किसी भी अधिकारी ने फाइलों को खोलने में दिलचस्पी नहीं दिखाई, लेकिन पिछले कुछ दिनों से शिक्षा विभाग में उजागर हो रहे फर्जीवाड़े से जंग खा चुके इन केसों की फाइलें दोबारा से खुल सकती हैं।
इतना ही नहीं, अन्य जिलों का फर्जी तबादला पत्र दिखाकर 40 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति जिले में खाली पड़े पदों पर कर दी गई थी। खुलासा होने पर 10 को हटा दिया गया, लेकिन बाद में इन फाइलों को भी दबा दिया गया। कुछ कर्मचारी आज भी ड्यूटी पर हैं।
जिस कंवर सिंह को हिमाचल प्रदेश की विजिलेंस पुलिस ने पिछले दिनों फर्जीवाड़ा दस्तावेज के आधार पर पकड़ा था, दरअसल वह फर्जी तबादला कराने वाला मास्टर माइंड था। सन 2000-02 के बीच में जिले में थोक के भाव फर्जी तबादले हुए। इस पीरियड में कंवर सिंह यहां शिक्षक के पद पर कार्यरत था। उस समय जो खुलासा हुआ था, उसके मुताबिक तबादला के लिए डीईओ से परमिशन लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी। फर्जी तबादला कराने वालों के सीधे शिक्षा निदेशालय से तार जुड़े हुए थे।
इस गोरखधंधे में शामिल शिक्षकों को सिर्फ निदेशालय से फाइल नंबर लेने पड़ते थे, जिन्हें यहां तैयार फर्जी तबादला पत्र में उल्लेखित कर दिया जाता था। फाइल नंबर का मतलब किसी मंत्री या नेता के अनुमोदित पत्र से होता था, जिसमें किसी शिक्षक के तबादले को लेकर सिफारिश की जाती थी। उस समय निदेशालय के असली रिकॉर्ड में शिक्षक का नाम कुछ और होता था, जबकि यहां स्कूल के रिकॉर्ड में उसी शिक्षक का नाम दर्ज था, जो तबादले के नाम पर सेवा शुल्क देकर आया था। इस फर्जी तबादला पत्र के साथ ही शिक्षक का रिकॉर्ड एक स्कूल से दूसरे स्कूल में चला जाता था। स्कूल का मुखिया सभी शिक्षकों का वेतन बनाकर ट्रेजरी कार्यालय से निकलवा लेता था। इस तरह से यह खेल आसानी से चलता रहा। इस फर्जीवाड़े के गवाह रहे शिक्षकों के मुताबिक गांव जैनाबाद, डहीना, निमोठ, कुंड, मंदौला, बावल, कंवाली समेत 75 स्कूलों में फर्जी तबादला पत्र के आधार पर आज भी 100 से ज्यादा शिक्षक ड्यूटी कर रहे हैं।
उस समय शिक्षक ही नहीं, फर्जी तबादला पत्र के आधार पर 40 के लगभग चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्ति तक करा दी गई थी। सिरसा के तुरंगावाड़ी से एक कर्मचारी का फर्जी तबादला दिखाकर रेवाड़ी के लिसान स्कूल में कराया गया था। इसी स्टाइल से जिले के स्कूलों में खाली पड़े पदों पर नियुक्तियां कर दी गईं। खुलासा होने पर 10 के लगभग को तुरंत हटा दिया गया लेकिन अधिकांश की फाइलों को दबा दिया। इनमें आज भी कर्मचारी मजे से ड्यूटी दे रहे हैं।
विभाग ने सिर्फ नियम बदले, कार्रवाई जीरो
फर्जी डिग्री व तबादला का खुलासा होने पर शिक्षा विभाग हरकत में आया। विभाग ने तबादला सूची में संशोधन किया, लेकिन कार्रवाई के नाम पर महज औपचारिकता पूरी की। जिला शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी भी तय कर दी गईं। स्कूल से लेकर निदेशालय में रखे रिकॉर्ड में कोई अंतर नहीं हो, इसके लिए प्रत्येक शिक्षक की आईडी जारी की। वर्तमान में यह सिस्टम पूरी तरह से ऑन लाइन कर दिया गया है, इसलिए फर्जी तबादला की सभी प्रकार की संभावनाएं न के बराबर रह गई हैं। |