कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अपने पांच करोड़ अंशदाताओं के लिए न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये तय करने के प्रस्ताव पर शुक्रवार को मंजूरी की मुहर लगा सकता है। ईपीएफओ का निर्णय करने वाला निकाय केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीबीटी) इस अतिरिक्त बोझ को वहन करने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार करेगा। ईपीएफओ का सुझाव है कि अतिरिक्त अंशदान जुटाने के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष की जा सकती है। दूसरा विकल्प यह है कि 20 साल की पेंशन योग्य सेवा पूरी करने पर दिया जाने वाला दो साल का बोनस समाप्त किया जाएगा। इनमें से कोई एक कदम उठाए जाने पर अंशधारकों को न्यूनतम 1,000 रुपये प्रति माह की पेंशन तय करना आसान हो जाएगा, क्योंकि इससे नियोक्ताओं सरकार और कर्मचारियों पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। ईपीएफओ ने सीबीटी को ये दोनों सुझाव श्रम मंत्रालय से विचार-विमर्श के बाद दिए हैं।
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि न्यूनतम पेंशन बढ़ाने के बदले में किए जा रहे इन बदलावों से कर्मचारी प्रभावित होंगे, इसको देखते हुए वे 25 मई को होने वाली सीबीटी की बैठक के दौरान इसका विरोध करेंगे। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के सचिव डीएल सचदेव ने कहा कि यदि सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर 60 साल की जाती है तो दो कर्मचारियों को और दो साल अंशदान करना पड़ेगा। दो साल के बोनस का विकल्प समाप्त करने से होने वाला नुकसान प्रस्तावित न्यूनतम पेंशन की तुलना में काफी ज्यादा हैं। ईपीएफओ के मुताबिक 31 मार्च, 2010 तक कुल 35 लाख सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन मिल रही थी। इनमें से 14 लाख को प्रति माह 500 रुपये से कम पेंशन मिली। एक हजार रुपये से ज्यादा पेंशन पाने वाले लोगों की संख्या केवल सात लाख है। कई पेंशनधारकों को सिर्फ 12 रुपये और 18 रुपये तक की पेंशन मिल पाती है। यदि ईपीएफ अतिरिक्त राशि जुटाने के ये दोनों विकल्प लागू नहीं करता तो कर्मचारियों को 1,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन हासिल करने के लिए 0.63 फीसद का अतिरिक्त अंशदान करना होगा। जीपीएफ पर 8.8 फीसद हुई ब्याज दर नई दिल्ली : सरकार ने जनरल प्रॉविडेंट फंड (जीपीएफ) और इसी तरह के अन्य फंडों पर वर्ष 2012-13 के लिए ब्याज दर बढ़ाकर 8.8 फीसद कर दी है। इससे पहले दिसंबर 2011 से मार्च 2012 के लिए सरकार ने इन फंडों पर ब्याज दर 8.6 फीसद घोषित की थी। वित्त मंत्रालय ने कहा कि कंट्रीब्यूटरी प्रॉविडेंट फंड (इंडिया), ऑल इंडिया सर्विसेज प्रॉविडेंट फंड, स्टेट रेलवे प्रॉविडेंट फंड और जनरल प्रॉविडेंट फंड (डिफेंस सर्विस) पर ब्याज दरों में हुई यह वृद्धि लागू होगी। जीपीएफ पर ब्याज दरों का निर्धारण आम तौर पर सरकारी प्रतिभूतियों पर ब्याज की बाजार दर के आधार पर तय होता है।
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि न्यूनतम पेंशन बढ़ाने के बदले में किए जा रहे इन बदलावों से कर्मचारी प्रभावित होंगे, इसको देखते हुए वे 25 मई को होने वाली सीबीटी की बैठक के दौरान इसका विरोध करेंगे। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के सचिव डीएल सचदेव ने कहा कि यदि सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर 60 साल की जाती है तो दो कर्मचारियों को और दो साल अंशदान करना पड़ेगा। दो साल के बोनस का विकल्प समाप्त करने से होने वाला नुकसान प्रस्तावित न्यूनतम पेंशन की तुलना में काफी ज्यादा हैं। ईपीएफओ के मुताबिक 31 मार्च, 2010 तक कुल 35 लाख सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन मिल रही थी। इनमें से 14 लाख को प्रति माह 500 रुपये से कम पेंशन मिली। एक हजार रुपये से ज्यादा पेंशन पाने वाले लोगों की संख्या केवल सात लाख है। कई पेंशनधारकों को सिर्फ 12 रुपये और 18 रुपये तक की पेंशन मिल पाती है। यदि ईपीएफ अतिरिक्त राशि जुटाने के ये दोनों विकल्प लागू नहीं करता तो कर्मचारियों को 1,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन हासिल करने के लिए 0.63 फीसद का अतिरिक्त अंशदान करना होगा। जीपीएफ पर 8.8 फीसद हुई ब्याज दर नई दिल्ली : सरकार ने जनरल प्रॉविडेंट फंड (जीपीएफ) और इसी तरह के अन्य फंडों पर वर्ष 2012-13 के लिए ब्याज दर बढ़ाकर 8.8 फीसद कर दी है। इससे पहले दिसंबर 2011 से मार्च 2012 के लिए सरकार ने इन फंडों पर ब्याज दर 8.6 फीसद घोषित की थी। वित्त मंत्रालय ने कहा कि कंट्रीब्यूटरी प्रॉविडेंट फंड (इंडिया), ऑल इंडिया सर्विसेज प्रॉविडेंट फंड, स्टेट रेलवे प्रॉविडेंट फंड और जनरल प्रॉविडेंट फंड (डिफेंस सर्विस) पर ब्याज दरों में हुई यह वृद्धि लागू होगी। जीपीएफ पर ब्याज दरों का निर्धारण आम तौर पर सरकारी प्रतिभूतियों पर ब्याज की बाजार दर के आधार पर तय होता है।