Friday, May 25, 2012

..तो बोझा ढोने वाले बनेंगे अफसर

अंबाला रेलवे में अब बोझा ढोने वाले भी टॉप बाबू की कुर्सी पर नजर आएंगे। यानी, लगेज स्पोर्टर व अन्य चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी विभागीय परीक्षा देकर क्लर्क व हैड क्लर्क की कुर्सी को पार करते हुए इससे ऊपरी दर्जे की सुपरवाईजर की कुर्सी पर काबिज हो जाएंगे। क्लास सी से क्लास थ्री के लिए दिल्ली मंडल में तीन साल का अनुभव होने की शर्त है, जबकि अंबाला मंडल ने अनुभव की कोई शर्त नहीं रखी। लगता है रेलवे अफसरों ने अपने चहेतों को सेट करवाने के लिए गोटियां फेंकनी शुरू कर दी हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दो बार पदों की संख्या को लेकर संशोधन हो चुका है, जबकि एक बार परीक्षा की तारीख को रद्द करते हुए नई तारीख घोषित हो चुकी है। दस प्रतिशत गे्रजुएट कोटे के मुताबिक प्रमोशन होनी है। इसके लिए पहले सुपरवाइजर पद के लिए छह सीटें निकाली गई थी। बाद में नोटिफिकेशन जारी कर छह से दस और फिर दस से सोलह कर दी। इससे पहले तीन साल की सर्विस वाले ही सुपरवाइजर की परीक्षा दे सकते थे लेकिन इस बार ऐसी
कोई शर्त ही नहीं रखी गई। पहला मौका है, जब अनुभव की कोई भी शर्त नहीं रखी गई है। मतलब साफ है कोई भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी इस विभागीय परीक्षा में बैठ सकता है। जबकि दिल्ली और मुरादाबाद मंडल से बिल्कुल भी ऐसा नहीं है। सर्विस की शर्त पूरी न होने पर आवेदन तक रद कर दिए गए हैं। उधर, डीआरएम पीके सांघी ने कहा चेक करके ही कुछ बता सकते हैं। स्थगित कर दी है परीक्षा सीनियर डीपीओ रविंद्र कुमार ने माना कि उन्नीस मई को होने वाली परीक्षा को स्थगित कर दिया गया है। उनका कहना है कि सिलेबस पूरा न होने के कारण परीक्षा स्थगित की है। एक सवाल के जवाब में अधिकारी ने कहा कि तीन साल का अनुभव होना जरूरी नहीं है।