सब कोटा के जरिये आइआइटी में प्रवेश का अल्पसंख्यक छात्रों का सपना फिलहाल टूट गया है। आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से रोक न लगने के कारण इन छात्रों को बुधवार को तगड़ा झटका लगा। आइआइटी-जेईई परीक्षा में ओबीसी आरक्षण के तहत 4.5 सब कोटा में ये छात्र काउंसलिंग के लिए चुने गए थे। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस केएस राधाकृष्णन और जेएस खेहर की पीठ ने 27 फीसद ओबीसी आरक्षण में सब आरक्षण के प्रावधान पर सवाल खड़े किए। पीठ ने केंद्र सरकार से जानना चाहा कि सब कोटा के लिए संवैधानिक और कानूनी आधार क्या थे। इस पर एडिशनल सॉलीसिटर जनरल गौरब बनर्जी ने अल्पसंख्यक छात्रों के भविष्य हवाला देकर हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की। लेकिन पीठ ने कहा कि क्या आप नए प्रचलन की शुरुआत करना चाहते हैं? इसके बाद बनर्जी कोर्ट से बाहर चले गए। अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसद आरक्षण लागू कर केंद्र सरकार ने आइआइटी में 325 मुस्लिम और धर्मातरित ईसाई समुदाय के उम्मीदवारों के प्रवेश का रास्ता खोलने की घोषणा की थी। सभी आइआइटी में कुल मिलाकर 9647 सीटें हैं। इनमें 4722 सीटें सामान्य वर्ग की हैं। इस साल 17,464 उम्मीदवारों का काउंसलिंग के लिए चयन हुआ था। 15 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी), आइटी बीएचयू और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ माइंस (धनबाद) में इन दिनों काउंसलिंग के बाद की प्रक्रिया चल रही है। 18 मई से 10 जून तक काउंसलिंग के बाद 14 जून से अभ्यर्थियों को संस्थानों का आवंटन शुरू होने की उम्मीद है। हाई कोर्ट के फैसले के बाद आइआइटी-जेईई 2012 के आर्गेनाइजिंग चेयरमैन जीबी रेड्डी ने बताया था कि 4.5 फीसद सब कोटा में काउंसलिंग के लिए चयनित उम्मीदवारों को जारी प्रक्रिया के तहत अपनी पसंद का कोर्स चुनने को कहा गया है।
0 comments
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.