Thursday, June 7, 2012

छात्रों को फेल न करने की नीति की समीक्षा होगी

 शिक्षा का अधिकार कानून बनाकर सरकार ने भले ही बड़ी वाहवाही लूटी हो, लेकिन आठवीं तक कोई बोर्ड नहीं रखने व छात्रों के फेल नहीं होने देने के प्रावधान नई समस्या बनकर उभरे हैं। बोर्ड परीक्षा के बजाय सालभर समग्र सतत मूल्यांकन (सीसीई) को लेकर भी राज्यों ने सवाल उठाए हैं। केब की बैठक में राज्यों की घेराबंदी के बाद केंद्र ने सीसीई की जमीनी हकीकत जानने के लिए कमेटी बना दी है। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की बैठक में कई राज्यों ने आठवीं तक बोर्ड खत्म करने व सीसीई के अमल के प्रावधान को लेकर केंद्र के फैसले पर सवाल उठाए। बिहार के शिक्षा मंत्री पीके शाही ने कहा, सीसीई का उलटा असर पड़ा है। देश अभी आठवीं तक बोर्ड परीक्षा खत्म करने की स्थिति में नहीं है। छत्तीसगढ़ के शिक्षा मंत्री समेत दूसरे और राज्यों के मंत्रियों ने भी कहा कि छात्र पहले बोर्ड की तैयारी करते थे। सीसीई से उन पर दबाव बढ़ा है। शिक्षक भी उसी में उलझे रहते हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने बताया कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सीसीई व अन्य पहलुओं की जमीनी हकीकत जानने के लिए हरियाणा की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है। कमेटी सीसीई के अमल और नतीजों की पड़ताल कर सरकार को तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा के लिए कर्ज को आसान बनाने के मद्देनजर क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट बनाया जाएगा। उसके तहत साढ़े सात लाख तक के शिक्षा कर्ज छात्रों को बिना गारंटी मिल सकेंगे। ट्रस्ट उसकी गारंटी लेगा, लेकिन बैंकों को उसके लिए मामूली फीस चुकानी होगी। किसी वजह से कोई कर्ज डूबता है तो बैंक को 75 प्रतिशत कर्ज की भरपाई ट्रस्ट करेगा, जबकि 25 प्रतिशत की अदायगी के लिए कुर्की की कार्रवाई की जाएगी। बैठक में पाठ्य पुस्तकों के डिजिटिलाइजेशन व उसके कंटेट आकाश टैबलेट पर उपलब्ध कराने पर सहमति बनी है।