निजी स्कूल संचालकों ने कहा कि वे नियम 134 एक के तहत किसी बच्चे को अपने स्कूल में दाखिला देने के सरकारी फरमान को नहीं मानेंगे। एसएस बाल सदन सीनियर सेकेंडरी स्कूल में रविवार को प्राइवेट स्कूल स्टेट कार्यकारिणी की बैठक में इसी तरह का फैसला लिया गया।
बैठक में प्रदेश के सभी जिलों से कार्यकारिणी के सदस्यों ने हिस्सा लिया। फैडरेशन आफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर हरियाणा के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने बताया कि अगर सरकार उन पर इस नियम को जबरदस्ती थोपना चाहेगी तो वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। शर्मा के अनुसार हाईकोर्ट ने आदेश दिए थे कि इस मामले को सरकार और निजी स्कूल अपने स्तर पर निपटाएं। इसके साथ ही सरकार को आदेश जारी किए गए थे कि सरकार इस नियम को लागू कराने
के लिए प्राइवेट स्कूलों की क्षतिपूर्ति भी करेगी। सरकार स्कूलों को ऐसी सुविधा न देकर 134ए लागू कराना चाह रही है। जोकि असंभव है। इसके अलावा प्राइवेट स्कूलों में पहले पढ़ रहे बच्चों को 134ए के अंदर दाखिला नहीं दिया जा सकता। नए दाखिलों में ही ऐसा प्रावधान है। सरकार स्वयं कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन कर रही है।
प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन रविभूषण गर्ग ने बताया कि सरकार उन्हें जानबूझकर तंग कर रही है। अगर सभी प्राइवेट स्कूल प्रबंधक 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को दाखिला देंगे तो उनकी व्यवस्था बिगड़ जाएगी और स्कूलों पर ताले लटक जाएंगे। लेकिन वे ऐसा नहीं होने देंगे। उन्होंने बताया कि सरकार उन पर अनचाही शर्तें थोप रही है।
सरकार
मनोज कुमार ने कहा कि कुछ स्कूलों में 60 बच्चे ही पढ़ रहे हैं। उन्हें अगर 25 प्रतिशत छात्रों को दाखिला देना पड़े तो वे स्कूल बंद करने में ही अपनी भलाई समझेंगे। सरकार भी यही चाहती है। सरकार ने सरकारी स्कूलों में बच्चों को मुफ्त साइकिल, बैग, किताबें, वर्दियां और अब मिड डे मील देना शुरू कर दिया है। लेकिन फिर भी सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढऩे के स्थान पर निरंतर घट रही है। प्राइवेट स्कूलों में ऐसी सुविधाएं न मिलने के बावजूद बच्चे अपना कैरियर बनाने के लिए प्राइवेट स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं। सरकार को प्राइवेट स्कूलों की ओर ध्यान देने के स्थान पर सरकारी स्कूलों में सुधार करना चाहिए। प्राइवेट स्कूलों पर कभी कमरों की शर्त, कभी बच्चों की संख्या की शर्त, कभी अध्यापकों के वेतन की शर्त तो कभी 134ए की शर्त थोपी जा रही है। अंबाला से आए बीएल कपूर ने बताया कि वे प्राइवेट स्कूलों की समस्याओं को लेकर एक मंत्री के पास गए थे। मंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार अप्रैल 2013 में इस नियम को लागू करने जा रही है। अगर इसमें कुछ बदलाव हो सकता है तो प्राइवेट स्कूलों को राहत मिल सकती है, अन्यथा प्राइवेट स्कूलों पर ताले लटक जाएंगे। इसके लिए अभी से एकजुट होकर संघर्ष का रास्ता अपनाना होगा। राजेश शर्मा ने बताया कि सरकार अभी तक यही तय नहीं कर पाई की आरटीई को लागू करवाना है या 134ए को। सरकार ने आरटीई में सुधार कर 134ए का नियम बनाया था। ऐसे में पहला नियम स्वयं समाप्त हो गया। लेकिन सरकार दोनों को एक साथ लेकर चल रही है। करनाल से आए महासचिव सुशील शर्मा ने बताया कि सरकार लोगों को गुमराह कर रही है। एक ओर तो गरीबी हटाने का नारा दिया जा रहा है। दूसरी ओर बीपीएल कार्ड जारी करके उन पर गरीबी का लेवल लगाया जा रहा है, ऐसे में बच्चों की मानसिकता पर बुरा असर पड़ता है। सरकार के नए नए नियमों के कारण निजी स्कूलों में पढाई भी प्रभावित हो रही है। निजी स्कूल पहले भी गरीब बच्चों को पढ़ाते रहे हैं और आगे भी पढ़ाते रहेंगे।
डिप्टी डीईओ से उलझे थे प्रबंधक
प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन रविभूषण ने बताया कि शनिवार को उन्हें डिप्टी डीईओ ने अपने कार्यालय में बुलाया था। उन्हें कहा गया कि डीसी का आदेश है कि वे 70 बच्चों को 134ए के तहत दाखिला दें। जबकि ये बच्चे पहले ही स्कूल में दाखिल हैं। एक पार्टी के एक कार्यकर्ता ने वोटें बनवाने के लिए कैथल के 547 गरीब छात्रों के बीपीएल कार्ड की कापी साथ लगाकर डीईओ कार्यालय जमा कराए थे। उन्होंने ऐसे बच्चों के 70 फार्म इस शर्त पर लेने से मना कर दिया था। इस अवसर पर जोगिंद्र ढुल, वीरेंद्र सहारण जींद, पुरुषोत्तम, मनोज जींद, बालकिशन कुरुक्षेत्र, विजय कुमार रोहतक, एसएल गुप्ता पानीपत, भारतभूषण हिसार, विनय कुमार फतेहाबाद, श्यामलाल सोनीपत, सतबीर पटेल पलवल, श्रीचंद पंचकूला, भात भूषण सिरसा, लाभ सिंह कैथल, प्रवीण प्रजापति, महीपाल, अशोक अरोड़ा, सुरेंद्र अरोड़ा, महेंद्र सिंह, वरूण जैन, अनिल कौशिक सहित अन्य प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
बैठक में प्रदेश के सभी जिलों से कार्यकारिणी के सदस्यों ने हिस्सा लिया। फैडरेशन आफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर हरियाणा के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने बताया कि अगर सरकार उन पर इस नियम को जबरदस्ती थोपना चाहेगी तो वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। शर्मा के अनुसार हाईकोर्ट ने आदेश दिए थे कि इस मामले को सरकार और निजी स्कूल अपने स्तर पर निपटाएं। इसके साथ ही सरकार को आदेश जारी किए गए थे कि सरकार इस नियम को लागू कराने
के लिए प्राइवेट स्कूलों की क्षतिपूर्ति भी करेगी। सरकार स्कूलों को ऐसी सुविधा न देकर 134ए लागू कराना चाह रही है। जोकि असंभव है। इसके अलावा प्राइवेट स्कूलों में पहले पढ़ रहे बच्चों को 134ए के अंदर दाखिला नहीं दिया जा सकता। नए दाखिलों में ही ऐसा प्रावधान है। सरकार स्वयं कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन कर रही है।
प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन रविभूषण गर्ग ने बताया कि सरकार उन्हें जानबूझकर तंग कर रही है। अगर सभी प्राइवेट स्कूल प्रबंधक 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को दाखिला देंगे तो उनकी व्यवस्था बिगड़ जाएगी और स्कूलों पर ताले लटक जाएंगे। लेकिन वे ऐसा नहीं होने देंगे। उन्होंने बताया कि सरकार उन पर अनचाही शर्तें थोप रही है।
सरकार
मनोज कुमार ने कहा कि कुछ स्कूलों में 60 बच्चे ही पढ़ रहे हैं। उन्हें अगर 25 प्रतिशत छात्रों को दाखिला देना पड़े तो वे स्कूल बंद करने में ही अपनी भलाई समझेंगे। सरकार भी यही चाहती है। सरकार ने सरकारी स्कूलों में बच्चों को मुफ्त साइकिल, बैग, किताबें, वर्दियां और अब मिड डे मील देना शुरू कर दिया है। लेकिन फिर भी सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढऩे के स्थान पर निरंतर घट रही है। प्राइवेट स्कूलों में ऐसी सुविधाएं न मिलने के बावजूद बच्चे अपना कैरियर बनाने के लिए प्राइवेट स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं। सरकार को प्राइवेट स्कूलों की ओर ध्यान देने के स्थान पर सरकारी स्कूलों में सुधार करना चाहिए। प्राइवेट स्कूलों पर कभी कमरों की शर्त, कभी बच्चों की संख्या की शर्त, कभी अध्यापकों के वेतन की शर्त तो कभी 134ए की शर्त थोपी जा रही है। अंबाला से आए बीएल कपूर ने बताया कि वे प्राइवेट स्कूलों की समस्याओं को लेकर एक मंत्री के पास गए थे। मंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार अप्रैल 2013 में इस नियम को लागू करने जा रही है। अगर इसमें कुछ बदलाव हो सकता है तो प्राइवेट स्कूलों को राहत मिल सकती है, अन्यथा प्राइवेट स्कूलों पर ताले लटक जाएंगे। इसके लिए अभी से एकजुट होकर संघर्ष का रास्ता अपनाना होगा। राजेश शर्मा ने बताया कि सरकार अभी तक यही तय नहीं कर पाई की आरटीई को लागू करवाना है या 134ए को। सरकार ने आरटीई में सुधार कर 134ए का नियम बनाया था। ऐसे में पहला नियम स्वयं समाप्त हो गया। लेकिन सरकार दोनों को एक साथ लेकर चल रही है। करनाल से आए महासचिव सुशील शर्मा ने बताया कि सरकार लोगों को गुमराह कर रही है। एक ओर तो गरीबी हटाने का नारा दिया जा रहा है। दूसरी ओर बीपीएल कार्ड जारी करके उन पर गरीबी का लेवल लगाया जा रहा है, ऐसे में बच्चों की मानसिकता पर बुरा असर पड़ता है। सरकार के नए नए नियमों के कारण निजी स्कूलों में पढाई भी प्रभावित हो रही है। निजी स्कूल पहले भी गरीब बच्चों को पढ़ाते रहे हैं और आगे भी पढ़ाते रहेंगे।
डिप्टी डीईओ से उलझे थे प्रबंधक
प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन रविभूषण ने बताया कि शनिवार को उन्हें डिप्टी डीईओ ने अपने कार्यालय में बुलाया था। उन्हें कहा गया कि डीसी का आदेश है कि वे 70 बच्चों को 134ए के तहत दाखिला दें। जबकि ये बच्चे पहले ही स्कूल में दाखिल हैं। एक पार्टी के एक कार्यकर्ता ने वोटें बनवाने के लिए कैथल के 547 गरीब छात्रों के बीपीएल कार्ड की कापी साथ लगाकर डीईओ कार्यालय जमा कराए थे। उन्होंने ऐसे बच्चों के 70 फार्म इस शर्त पर लेने से मना कर दिया था। इस अवसर पर जोगिंद्र ढुल, वीरेंद्र सहारण जींद, पुरुषोत्तम, मनोज जींद, बालकिशन कुरुक्षेत्र, विजय कुमार रोहतक, एसएल गुप्ता पानीपत, भारतभूषण हिसार, विनय कुमार फतेहाबाद, श्यामलाल सोनीपत, सतबीर पटेल पलवल, श्रीचंद पंचकूला, भात भूषण सिरसा, लाभ सिंह कैथल, प्रवीण प्रजापति, महीपाल, अशोक अरोड़ा, सुरेंद्र अरोड़ा, महेंद्र सिंह, वरूण जैन, अनिल कौशिक सहित अन्य प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
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