Monday, April 30, 2012

आरटीई के खिलाफ जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

सरकार द्वारा नियम 134 ए के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने के निर्देश का हरियाणा संयुक्त विद्यालय संघ पुरजोर विरोध करेगा। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में सरकार के फैसले को चुनौती दी जाएगी। साथ ही शांतिपूर्वक समाधान के लिए सरकार से बातचीत की जाएगी। इसके लिए 31 सदस्यीय कमेटी भी बनाई गई है। रविवार को यहां इंडस स्कूल में हरियाणा संयुक्त विद्यालय संघ की हुई राज्य स्तरीय बैठक में इसका फैसला लिया गया। बैठक की अध्यक्षता संघ प्रदेशाध्यक्ष सुभाष श्योराण ने की। 



बैठक में सुभाष श्योराण ने कहा कि सरकार शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा 134 ए के तहत प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों और अभिभावकों पर आर्थिक बोझ डालने का प्रयास कर रही है। धारा के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का फरमान है। निजी स्कूलों द्वारा 25 प्रतिशत बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देना नियंत्रण से बाहर है। उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत स्कूलों की स्थिति दयनीय हे और वे बैंक के कर्ज तले दबे हैं। यदि सरकार गरीब बच्चों को निजी विद्यालयों में बेहतर शिक्षा दिलाना चाहती है तो अमेरिका, जर्मनी, जापान जैसे देशों की तर्ज पर निजी स्कूलों को प्रति विद्यार्थी के हिसाब से वित्तीय सुविधा भी मुहैया करवाए। इससे राज्य का शैक्षणिक स्तर भी ऊंचा उठेगा। बेहतर शिक्षा सरकार की जिम्मेदारी है और निजी स्कूल इसमें सहयोग दे रहे हैं। 

बैठक में विभिन्न जिलों से शामिल हुए स्कूल संचालकों, प्रबंधकों ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम और नियम 134ए को लेकर विचार व्यक्त किए। उन्होंने नियम 134ए को काला कानून बताया। उन्होंने कहा कि निजी स्कूल बच्चों की फीस से ही चलते हैं और उसी से सभी खर्च निकलता है। संघ के संरक्षक विजय निर्मोही एवं महासचिव सुदेश कुमार ने कहा कि धारा 134ए से समाज में विभिन्न वर्गों में द्वेष फैलेगा तथा सामाजिक समरसता को आघात पहुंचेगा। 

ऐसे में सरकार निजी स्कूलों के प्रतिनिधियों से बात कर सही रास्ता निकाले। स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चे नि:शुल्क पढ़ेंगे तो उनका बोझ अन्य बच्चों पर ही पड़ेगा जिसे ना अभिभावक सहन कर सकते और ना ही स्कूल संचालक। बैठक में धर्मप्रकाश दहिया, राजेंद्र सिंह, राजीव मिगलानी, भारतभूषण मिढ़ा, लाभसिंह लाठर आदि ने भी विचार व्यक्त किए।