बहुत संभावना है कि इस बार गरमी की छुट्टियों के बाद एडिड स्कूलों का रेगुलर स्टाफ सरकारी स्कूलों में काम करता दिखेगा। सरकार तो पहले ही इस स्टाफ को टेकओवर करने को गंभीरता दिखा रही थी अब एडिड स्कूलों की प्रबंधन समितियां भी इस पर लगभग सहमत हो गई हैं। बस स्टाफ टेकओवर होने की शर्तों की कुछ उलझनों को सुलझाना रह गया है।
सबसे बड़ी बाधा गैर अनुदानित (डी एडिड) होने के बाद 33 साल तक स्कूल चलाने और टेकओवर से पहले सारे वित्तीय भार क्लियर करने की अनिवार्यता है। अधिकतर एडिड स्कूलों की प्रबंधन समितियां चाहती हैं कि सरकार वित्तीय भार भी वहन करे और यह भी छूट दे कि डी एडिड होने के बाद स्कूल प्रबंधन चाहें तो सीबीएसई से भी संबद्ध हो सकें। अभी हरियाणा बोर्ड से संबद्ध स्कूलों को ही सरकार से सेलरी ग्रांट मिलती है। जाहिर है कि ज्यादातर स्कूल प्रबंधन समितियों की योजना अनुदान खत्म होने के बाद स्कूलों को इंग्लिश मीडियम बनाने की है। एजुकेशन डायरेक्टर समीर पाल सरो और एडिड स्कूलों के प्रबंधन कमेटियों के बीच शनिवार को पानीपत में हुई मीटिंग में यह सब उभर कर आया है। मीटिंग में डायरेक्टर ने साफ कहा कि स्कूल प्रबंधन अपने रेगुलर स्टाफ को शीघ्र टेकओवर करवाने के लिए तैयार रहें। स्कूल प्रबंधकों की जायज मांगों पर सहानुभूति पूर्व विचार करने का भरोसा दिलाया।
सबसे बड़ी बाधा गैर अनुदानित (डी एडिड) होने के बाद 33 साल तक स्कूल चलाने और टेकओवर से पहले सारे वित्तीय भार क्लियर करने की अनिवार्यता है। अधिकतर एडिड स्कूलों की प्रबंधन समितियां चाहती हैं कि सरकार वित्तीय भार भी वहन करे और यह भी छूट दे कि डी एडिड होने के बाद स्कूल प्रबंधन चाहें तो सीबीएसई से भी संबद्ध हो सकें। अभी हरियाणा बोर्ड से संबद्ध स्कूलों को ही सरकार से सेलरी ग्रांट मिलती है। जाहिर है कि ज्यादातर स्कूल प्रबंधन समितियों की योजना अनुदान खत्म होने के बाद स्कूलों को इंग्लिश मीडियम बनाने की है। एजुकेशन डायरेक्टर समीर पाल सरो और एडिड स्कूलों के प्रबंधन कमेटियों के बीच शनिवार को पानीपत में हुई मीटिंग में यह सब उभर कर आया है। मीटिंग में डायरेक्टर ने साफ कहा कि स्कूल प्रबंधन अपने रेगुलर स्टाफ को शीघ्र टेकओवर करवाने के लिए तैयार रहें। स्कूल प्रबंधकों की जायज मांगों पर सहानुभूति पूर्व विचार करने का भरोसा दिलाया।