अगर आप जीजेयू में पढ़ रहे हैं और आपको रिजल्ट में फेल किया गया है तो पेपर की रि चैकिंग करवाएं। संभावना है कि पास हो जाएं। इतना ही नहीं अच्छा डिवीजन भी आपको मिल सकती है। पिछले कई वर्षों से इसी प्रकार के परिणाम देखने को मिले हैं जिन्होंने एग्जाम चैक करने वालों की योग्यता पर सवालिया निशान लगा दिया है।
पुनर्मूल्यांकन ने खत्म की रिजल्ट की उपयोगिता
जीजेयू के डिस्टेंस के छात्रों का रिजल्ट तीन फीसदी से 80 फीसदी किया गया। छात्रों ने पेपर जांचे वाले टीचरों की योग्यता पर निशान लगाया। एमबीए के छात्रा सचिन ने बताया कि रिजल्ट हमेशा से खराब निकाला जाता है। इसको ठीक करवाने के लिए छात्रों को रीवेल्यूएशन का सहारा लेना पड़ता है। छात्रा सोनम बत्रा ने बताया कि ऐसा नहीं है कि हमने ही प्रदर्शन किया है इससे पहले भी छात्र प्रदर्शन करते आए हैं और रिजल्ट को बेहतर करवा कर गए।
रेगुलर में एमबीए के बारे में बात करे तो 2009 से 2012 तक रिजल्ट को लेकर हंगामे व धरने हो चुके हैं। 30 मई को आए एमबीए के रिजल्ट में भी लगभग 200 छात्रों में से 86 छात्रों को फेल किया गया है। यहां तक की कई छात्रों को तो पेपर में जीरो अंक दिए गए हैं। इससे पहले 2010 में 220 छात्रों मे से 140 छात्रों को फेल किया गया था।
ऐसे रहे परिणाम पुनर्मूल्यांकन के बाद
एमसीए डिस्टेंस के छात्र कर्मपाल ने बताया कि यूनिवर्सिटी रिजल्ट में उसे तीस अंक मिले थे। जबकि पुनर्मूल्यांकन के बाद उसे अंक बढ़कर 80 हो गए थे। रिजल्ट पहले भी खराब आते रहे है और पुनर्मूल्यांकन से ही सुधारा गया है। वहीं मोनिका के 24 अंकों से बढ़कर 81 अंक हो गए। वहीं जब 2010 में जिन 220 छात्रों को फेल किया गया था पुनर्मूल्यांकन के बाद उसमें से लगभग 100 के करीब छात्र पास हो गए थे।
समय पर मार्किंग न होना रिजल्ट लेट का कारण
अभी हॉल ही में छात्रों के एग्जाम खत्म हुए हैं। अब यूनिवर्सिटी को तीन महीने के अंदर इनके परिणाम घोषित करना है। लेकिन जून महीने में प्रोफेसर छुट्टी पर है जो जुलाई में आएंगे। जुलाई में छात्रों के इंटर्न टेस्ट हैं और उसके बाद छात्रों का सलेक्शन करना है। इस पूरी प्रक्रिया में दो महीने गुजर जाएंगे। इस दौरान प्रोफेसर एग्जाम चैक नहीं कर पाते हैं। इसके बाद वो पेपर चैक करते है फिर उसे वापस भेजते हैं संबंधित विभाग को उसके पश्चात कही जाकर रिजल्ट तैयार होता है। इस पूरी प्रक्रिया में आठ से दस महीने का समय लग जाता है। इतने में छात्रों के एक सेमेस्टर की परीक्षा भी हो जाती है।
पुनर्मूल्यांकन को लेकर प्रशासन और प्रोफेसरों को गंभीरता से विचार करना होगा। इसका सबसे बड़ा कारण है रिजल्ट का देरी से आना है जब तक ऐसा होगा इस प्रकार की समस्या आती रहेगी। ""
आरएस जागलान, रजिस्ट्रार
जीजेयू में एग्जाम पूरे साल चलते रहते हैं। रेगुलर की मार्किंग खत्म होती हैं तो डिस्टेंस के शुरू हो जाते हैं। जिस कारण कई बार रिजल्ट में गलतियां हो जाती हैं।""
आरके यादव, डिस्टेंस डायरेक्टर
पुनर्मूल्यांकन ने खत्म की रिजल्ट की उपयोगिता
जीजेयू के डिस्टेंस के छात्रों का रिजल्ट तीन फीसदी से 80 फीसदी किया गया। छात्रों ने पेपर जांचे वाले टीचरों की योग्यता पर निशान लगाया। एमबीए के छात्रा सचिन ने बताया कि रिजल्ट हमेशा से खराब निकाला जाता है। इसको ठीक करवाने के लिए छात्रों को रीवेल्यूएशन का सहारा लेना पड़ता है। छात्रा सोनम बत्रा ने बताया कि ऐसा नहीं है कि हमने ही प्रदर्शन किया है इससे पहले भी छात्र प्रदर्शन करते आए हैं और रिजल्ट को बेहतर करवा कर गए।
रेगुलर में एमबीए के बारे में बात करे तो 2009 से 2012 तक रिजल्ट को लेकर हंगामे व धरने हो चुके हैं। 30 मई को आए एमबीए के रिजल्ट में भी लगभग 200 छात्रों में से 86 छात्रों को फेल किया गया है। यहां तक की कई छात्रों को तो पेपर में जीरो अंक दिए गए हैं। इससे पहले 2010 में 220 छात्रों मे से 140 छात्रों को फेल किया गया था।
ऐसे रहे परिणाम पुनर्मूल्यांकन के बाद
एमसीए डिस्टेंस के छात्र कर्मपाल ने बताया कि यूनिवर्सिटी रिजल्ट में उसे तीस अंक मिले थे। जबकि पुनर्मूल्यांकन के बाद उसे अंक बढ़कर 80 हो गए थे। रिजल्ट पहले भी खराब आते रहे है और पुनर्मूल्यांकन से ही सुधारा गया है। वहीं मोनिका के 24 अंकों से बढ़कर 81 अंक हो गए। वहीं जब 2010 में जिन 220 छात्रों को फेल किया गया था पुनर्मूल्यांकन के बाद उसमें से लगभग 100 के करीब छात्र पास हो गए थे।
समय पर मार्किंग न होना रिजल्ट लेट का कारण
अभी हॉल ही में छात्रों के एग्जाम खत्म हुए हैं। अब यूनिवर्सिटी को तीन महीने के अंदर इनके परिणाम घोषित करना है। लेकिन जून महीने में प्रोफेसर छुट्टी पर है जो जुलाई में आएंगे। जुलाई में छात्रों के इंटर्न टेस्ट हैं और उसके बाद छात्रों का सलेक्शन करना है। इस पूरी प्रक्रिया में दो महीने गुजर जाएंगे। इस दौरान प्रोफेसर एग्जाम चैक नहीं कर पाते हैं। इसके बाद वो पेपर चैक करते है फिर उसे वापस भेजते हैं संबंधित विभाग को उसके पश्चात कही जाकर रिजल्ट तैयार होता है। इस पूरी प्रक्रिया में आठ से दस महीने का समय लग जाता है। इतने में छात्रों के एक सेमेस्टर की परीक्षा भी हो जाती है।
पुनर्मूल्यांकन को लेकर प्रशासन और प्रोफेसरों को गंभीरता से विचार करना होगा। इसका सबसे बड़ा कारण है रिजल्ट का देरी से आना है जब तक ऐसा होगा इस प्रकार की समस्या आती रहेगी। ""
आरएस जागलान, रजिस्ट्रार
जीजेयू में एग्जाम पूरे साल चलते रहते हैं। रेगुलर की मार्किंग खत्म होती हैं तो डिस्टेंस के शुरू हो जाते हैं। जिस कारण कई बार रिजल्ट में गलतियां हो जाती हैं।""
आरके यादव, डिस्टेंस डायरेक्टर