Tuesday, July 10, 2012

वेतन को तरस रहे हैं अनुबंधित जनसंपर्क अधिकारी


हरियाणा सरकार में अहम समझे जाने वाले और जनता व सरकार के बीच कड़ी का काम करने वाले सूचना, जनसंपर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के अनुबंधित अधिकारी आजकल वेतन विसंगतियों से जूझने के साथ-साथ पिछले कई महीनों से वेतन को भी तरस रहे हैं। विभाग में अनुबंध आधार पर कार्यरत सहायक सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारियों (एआईपीआरओ) को वेतन के लिए कथित तौर पर हर बार महीनों इंतजार करना पड़ता है। इतना ही नहीं, जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद भी इन अधिकारियों के वेतन में वृद्धि नहीं की गई है।
सूचना, जनसंपर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग ने पहली अप्रैल, 2008 को बाकायदा विज्ञापन जारी कर 32 सहायक सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारियों की नियुक्ति अनुबंध आधार पर 12 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन पर की थी। उस समय नियमित एआईपीआरओ का वेतन भी लगभग इतना ही था और नियमानुसार ही अनुबंध आधार पर रखे गए एआईपीआरओ को नियमित एआईपीआरओ के बराबर वेतन दिया गया था। इन अनुबंधित अधिकारियों को दो माह तक चंडीगढ़ में हिपा द्वारा प्रशिक्षण देने उपरांत प्रदेश के चंडीगढ़ स्थित मुख्यालय, हरियाणा भवन व विभिन्न जिला मुख्यालयों पर नियुक्त किया गया था।
इस समय प्रदेश में 21 सहायक सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी सरकार की नीतियों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। विभाग द्वारा अधिकारियों की नियुक्ति से 3 साल तक इन अधिकारियों को 6-6 माह की एक्सटेंशन दी जाती रही है लेकिन हर बार मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेशों के बावजूद एक्सटेंशन की अनुमति में महीनों का समय लगा है जिसके चलते इन अधिकारियों को हर बार वेतन के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता है। इसी दौरान हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने भी अप्रैल 2011 में 18 सहायक एवं जनसंपर्क अधिकारियों की भर्ती की। इस भर्ती में भी विभाग में लगभग 4 साल से कार्य कर रहे इन अधिकारियों को किसी भी प्रकार की कोई छूट नहीं दी गई।
इस पर इन एआईपीआरओ पर छंटनी की तलवार लटकी तो ये अनुबंधित एआईपीआरओ अपनी मांग व समस्या को लेकर मुख्यमंत्री भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा व सांसद दीपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा से मिले। मुख्यमंत्री व सांसद दीपेंद्र ने इन अधिकारियों को आश्वासन दिया कि छंटनी नहीं की जाएगी और इन अधिकारियों की एक्सटेंशन भी छह महीने की बजाय एक साल की जाएगी। इसके साथ-साथ इन अधिकारियों की वेतन वृद्धि के लिए भेजे गए प्रस्ताव को भी मुख्यमंत्री ने मंजूरी प्रदान कर दी। मुख्यमंत्री द्वारा मंजूर और विभाग द्वारा भेजे गए इस प्रस्ताव में स्पष्ट लिखा है कि अनुबंध आधार पर नियुक्त किए गए इन एआईपीआरओ का मामला राज्य सरकार की आऊटसोॄसग पॉलिसी के अंतर्गत नहीं आता। ताज्जुब की बात है कि मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद अधिकारियों के वेतन में वृद्घि तो दूर की बात है, उन्हें 31 मार्च, 2012 के बाद एक्सटेंशन भी नहीं दी गई है। मजे की बात तो यह है कि इन अधिकारियों के अधीन काम करने वाले भजन पार्टी के अनुबंध आधार पर नियुक्त लीडर व खंड प्रचार कार्यकर्ताओं का वेतन पिछले ही दिनों बढ़ाकर दोगुने से भी ज्यादा कर दिया गया और अब इन भजन पार्टी के लीडर व खंड प्रचार कार्यकर्ताओं को 10 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन के साथ-साथ यात्रा भत्ता सुविधा भी दी जाती है। जबकि एआईपीआरओ को 12 हजार 500 रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के आदेश पर इन अधिकारियों का वेतन पहली जनवरी, 2011 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह एकमुश्त कर दिया गया था, परंतु विभाग की लालफीताशाही और वित्त विभाग के अडिय़ल रवैये के कारण इसका लाभ अभी भी इन अधिकारियों को नहीं मिल सका है। दूसरी ओर विभाग के वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव ने भी 25 मई, 2012 को अधिसूचना जारी कर इन अधिकारियों के वेतन में वृद्धि करते हुए नियमित सहायक सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी के बेसिक पे, ग्रेड पे व महंगाई भत्ता के हिसाब से देने का फरमान भी जारी कर दिया। साथ ही, प्रदेश सरकार की नई अनुबंधित नीति के तहत एक्सटेंशन पीरियड भी दो साल का कर दिया, परंतु विभाग के अधिनस्थ अधिकारियों ने फाइलों में ही इन आदेशों को उलझा दिया। अब अधीनस्थ अधिकारी मुख्यमंत्री द्वारा मंजूर की गई वेतन वृद्धि फाइल के उलट  इन ए आई पी आर ओ की नियुक्ति को राज्य सरकार की आऊटर्सोसिंग पॉलिसी के तहत बता रहे हैं।

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