कानपुर और बांबे के बाद आखिरकार आइआइटी दिल्ली ने भी पर्सेटाइल रैकिंग के आधार पर 2013 से इंजीनियरिंग की साझा प्रवेश परीक्षा पर रजामंदी दे दी। हालांकि इस साल 12वीं की बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों के लिए प्रवेश के नियमों में बदलाव नहीं किया जाएगा। आइआइटी काउंसिल के 27 जून के फैसले पर विचार करने के लिए शुक्रवार को आइआइटी दिल्ली की सीनेट की बैठक में नए प्रारूप को कुछ संशोधनों के साथ स्वीकार कर लिया गया। एक संशोधन के मुताबिक छात्रों को टॉप 20 पर्सेटाइल में जगह बनाने या 12वीं की बोर्ड परीक्षा में न्यूनतम 60 फीसदी अंक में से किसी एक शर्त को पूरा करना होगा। सीनेट के एक सदस्य ने कहा कि मुख्य और एडवांस परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम एकसमान रखने की सिफारिश की गई है। 2014 और आगामी वर्षो में प्रवेश
प्रक्रिया की विस्तृत रूपरेखा के लिए एक समिति बनाने पर भी सहमति बनी। बैठक में एडवांस परीक्षा के लिए संख्या डेढ़ लाख तक सीमित करने के प्रस्ताव का विरोध नहीं हुआ। आइआइटी बांबे ने इसे 50,000 तक सीमित करने का सुझाव दिया है। आइआइटी कानपुर ने परीक्षा की प्रकृति (वस्तुनिष्ठ या विस्तृत) पर फैसला होने के बाद इस पर राय देने की बात कही है। आइआइटी कानपुर ने जेईई 2013 परीक्षा को अंतरिम प्रारूप के तौर पर स्वीकार किया है। जेईई 2014 या उसके आगे इसे अपनाने के लिए आइआइटी कानपुर की सीनेट की एक समिति उस वक्त विचार कर अंतिम फैसला करेगी। गौरतलब है कि प्रारंभ में आइआइटी दिल्ली, कानपुर और बांबे ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साझा प्रवेश परीक्षा के नए प्रारूप को खारिज कर दिया था। विरोध बढ़ता देख मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को प्रारूप में बदलाव के लिए मजबूर होना पड़ा। बाद में संशोधित प्रारूप पर आइआइटी काउंसिल की बैठक में सहमति जताई गई। आइआइटी बांबे और कानपुर संशोधित प्रारूप को पहले ही स्वीकार कर चुके हैं।
प्रक्रिया की विस्तृत रूपरेखा के लिए एक समिति बनाने पर भी सहमति बनी। बैठक में एडवांस परीक्षा के लिए संख्या डेढ़ लाख तक सीमित करने के प्रस्ताव का विरोध नहीं हुआ। आइआइटी बांबे ने इसे 50,000 तक सीमित करने का सुझाव दिया है। आइआइटी कानपुर ने परीक्षा की प्रकृति (वस्तुनिष्ठ या विस्तृत) पर फैसला होने के बाद इस पर राय देने की बात कही है। आइआइटी कानपुर ने जेईई 2013 परीक्षा को अंतरिम प्रारूप के तौर पर स्वीकार किया है। जेईई 2014 या उसके आगे इसे अपनाने के लिए आइआइटी कानपुर की सीनेट की एक समिति उस वक्त विचार कर अंतिम फैसला करेगी। गौरतलब है कि प्रारंभ में आइआइटी दिल्ली, कानपुर और बांबे ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साझा प्रवेश परीक्षा के नए प्रारूप को खारिज कर दिया था। विरोध बढ़ता देख मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को प्रारूप में बदलाव के लिए मजबूर होना पड़ा। बाद में संशोधित प्रारूप पर आइआइटी काउंसिल की बैठक में सहमति जताई गई। आइआइटी बांबे और कानपुर संशोधित प्रारूप को पहले ही स्वीकार कर चुके हैं।
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