हरियाणा सरकार द्वारा चार साल के अनुभव वाले सभी शिक्षकों को बिना पात्रता परीक्षा पास किए शिक्षक भर्ती में शामिल करने का फैसला सरकार के गले की फांस बनता दिख रहा है। जहां पात्र अध्यापक सरकार के इस निर्णय के विरोध में बिफरे हुए हैं वहीं अतिथि अध्यापक भी सरकार के निर्णय को खारिज कर चुके हैं। दरअसल, पात्र अध्यापकों को लगता है कि सरकार ने उनके साथ धोखा किया है और बिना पात्रता पास किए अनुभव वाले लाखों उम्मीदवार उनकी नियुक्ति के अवसरों पर कुठाराघात करेंगे।
वहीं दूसरी ओर अतिथि अध्यापक भी छूट की नीति पर नाखुश हैं। उनका मानना है कि लाखों की संख्या में आवेदक होने की स्थिति में भर्ती हेतु अपरिहार्य स्क्रीङ्क्षनग टैस्ट में वे तो पहले ही दौर में बाहर हो जाएंगे। उनकी एकमुश्त मांग है कि सरकार उन्हें कोई नीति बनाकर सीधा नियमित ही कर दे। हालांकि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2006 में उमा देवी बनाम कर्नाटक सरकार मामले में दिए गए फैसले के मद्देनज़र इसकी संभावना न के बराबर है।
वहीं दूसरी ओर अतिथि अध्यापक भी छूट की नीति पर नाखुश हैं। उनका मानना है कि लाखों की संख्या में आवेदक होने की स्थिति में भर्ती हेतु अपरिहार्य स्क्रीङ्क्षनग टैस्ट में वे तो पहले ही दौर में बाहर हो जाएंगे। उनकी एकमुश्त मांग है कि सरकार उन्हें कोई नीति बनाकर सीधा नियमित ही कर दे। हालांकि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2006 में उमा देवी बनाम कर्नाटक सरकार मामले में दिए गए फैसले के मद्देनज़र इसकी संभावना न के बराबर है।
पात्र अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने कहा कि पूरे प्रदेश के एक लाख पात्र अध्यापकों में सरकार के इस फैसले के खिलाफ भारी रोष व आक्रोश है। उन्होंने सरकार को आगाह किया कि यदि सरकार ने निर्णय वापिस नहीं लिया तो एक मई को मजदूर दिवस पर अपने हकों के लिए शहीद होने वाले लाखों मजदूरों के भांति पात्र अध्यापक भी रोहतक स्थित संविधान स्थल पर आत्मदाह कर शहीद हो जाएंगे।
संघ ने वीरवार 19 अप्रैल से पंचकूला स्थित शिक्षा सदन के बाहर पात्रता प्रमाण पत्र की मृत्यु का शोक जारी रखते हुए निरंतर संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया है। संघ की महिला ङ्क्षवग की प्रदेशाध्यक्ष अर्चना सुहासिनी ने दैनिक टिब्यून को बताया कि मुख्यमंत्री अतिथि अध्यापकों के अंधे मोह में धृतराष्ट्र बन चुके हैं, और पात्र अध्यापक रूपी पांडवों से अन्याय कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री तुष्टिकरण की नीति का खतरनाक खेल खेल रहे हैं जिसके परिणाम कभी भी सुखद नहीं रहे। उन्होंने कहा कि फिर तो सरकार इस प्रकार ही कंडक्टर व ड्राइवरों की भर्ती भी कर ले, क्योंकि उसका लाइसेंस भी तीन साल बाद तक बनवाया जा सकता है। उन्होंने प्रदेश के शिक्षाविदों, मीडिया, सामाजिक संगठनों व बुद्धिजीवी वर्ग से भी अध्यापक पात्रता परीक्षा पास योग्य युवाओं के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लामबंद होने का आह्वान किया है।