जहाज पुल स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल जिले के सरकारी स्कूलों के लिए मिसाल है। बाकी सरकारी स्कूलों और मॉडल स्कूलों में दाखिले के हालात किसी से छिपी नहीं हैं। मगर चार-पांच साल से सौ फीसदी रिजल्ट व अन्य सुविधाओं में कई निजी नामी स्कूलों से आगे इस सरकारी स्कूल में दाखिला पाने के लिए छात्रों में होड़ लगी है। 10वीं कक्षा का रिजल्ट आने से पहले ही जहाज पुल स्कूल में 11वीं कक्षा की सीटें फुल हो गई हैं।
जिले में सौ से अधिक सीनियर सेकंडरी स्कूल हैं। इनमें से 21 स्कूल ऐसे हैं, जहां कला और वाणिज्य संकाय के साथ साइंस स्ट्रीम स्वीकृत है। खंड मुख्यालयों के स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो इनमें से अधिकांश स्कूलों में छात्रों की संख्या काफी कम है। कई स्कूलों में तो अभी तक एडमिशन प्रक्रिया भी शुरू नहीं की गई है। हालांकि इन स्कूलों में रेगुलर एडमिशन प्रक्रिया 10वीं का रिजल्ट आने के बाद ही शुरू होगा, लेकिन जहाजपुल स्कूल में प्रोविजनल एडमिशन निर्धारित सीटों से दोगुणा अधिक हो चुके हैं। ये एडमिशन दसवीं के पहले समेस्टर के मैरिट बेस पर किए गए हैं।
कमरों की कमी
विभागीय सूत्रों की मानें तो एक क्लास में अधिकतम 50 बच्चों को बैठाया जा सकता है। जहाज पुल स्कूल के 16 कमरों की क्षमता मात्र आठ सौ छात्रों की है। मगर यहां अभी तक सीनियर सेकंडरी कक्षाओं में करीब 14 सौ छात्रों का एडमिशन दिया जा चुका है। छात्रों की यह संख्या जिले के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में सर्वाधिक मानी जा रही है। इस स्थिति में आने वाले दिनों में स्कूल प्रबंधन को छात्रों के लिए व्यवस्था बनाने में भारी परेशानी होगी। वहीं प्राध्यापकों की संख्या सीमित होने के कारण इन छात्रों के लिए पीरियड शेड्यूल बनाना भी स्कूल प्रबंधन के लिए मुश्किल साबित होगा।
क्या है स्थिति
कक्षा कला वाणिज्य विज्ञान
11वीं 270 170 375
12वीं 172 112 278
छात्रों में क्यों है रुझान
जिले के साइंस स्कूलों में जहाज पुल स्कूल की अलग पहचान है। इसलिए एडमिशन के लिए सबसे ज्यादा मारामारी इस विषय के स्टूडेंट्स में हैं। यहां साइंस के तीनों विषयों की अत्याधुनिक लैब, कंप्यूटर लैब, इंग्लिश लैब, एजुसेट रूम, लाइब्रेरी और प्रदेश की पहली सेटेलाइट लैब सहित तमाम सुविधाएं हैं, जो नामी प्राइवेट स्कूलों में भी नहीं है। पिछले चार पांच सालों से इस स्कूल का रिजल्ट भी शत प्रतिशत रहा। इसके अलावा पूर्व प्राचार्य देवेंद्र सिंह के प्रयासों से तमाम जिला स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी या अन्य प्रतियोगिताओं की मेजबानी भी इसी स्कूल को मिली। इसलिए यह स्कूल छात्रों की पहली पसंद बना है।
॥ रिजल्ट न आने के कारण स्कूल में प्रोविजनल एडमिशन दिए गए हैं, लेकिन इनमें ही सीटें पूरी फुल हो गई हैं। इसलिए एडमिशन प्रक्रिया पर ब्रेक लगाए गए हैं। कृष्ण कुमार, प्राचार्य, जहाजपुल स्कूल।
जिले में सौ से अधिक सीनियर सेकंडरी स्कूल हैं। इनमें से 21 स्कूल ऐसे हैं, जहां कला और वाणिज्य संकाय के साथ साइंस स्ट्रीम स्वीकृत है। खंड मुख्यालयों के स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो इनमें से अधिकांश स्कूलों में छात्रों की संख्या काफी कम है। कई स्कूलों में तो अभी तक एडमिशन प्रक्रिया भी शुरू नहीं की गई है। हालांकि इन स्कूलों में रेगुलर एडमिशन प्रक्रिया 10वीं का रिजल्ट आने के बाद ही शुरू होगा, लेकिन जहाजपुल स्कूल में प्रोविजनल एडमिशन निर्धारित सीटों से दोगुणा अधिक हो चुके हैं। ये एडमिशन दसवीं के पहले समेस्टर के मैरिट बेस पर किए गए हैं।
कमरों की कमी
विभागीय सूत्रों की मानें तो एक क्लास में अधिकतम 50 बच्चों को बैठाया जा सकता है। जहाज पुल स्कूल के 16 कमरों की क्षमता मात्र आठ सौ छात्रों की है। मगर यहां अभी तक सीनियर सेकंडरी कक्षाओं में करीब 14 सौ छात्रों का एडमिशन दिया जा चुका है। छात्रों की यह संख्या जिले के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में सर्वाधिक मानी जा रही है। इस स्थिति में आने वाले दिनों में स्कूल प्रबंधन को छात्रों के लिए व्यवस्था बनाने में भारी परेशानी होगी। वहीं प्राध्यापकों की संख्या सीमित होने के कारण इन छात्रों के लिए पीरियड शेड्यूल बनाना भी स्कूल प्रबंधन के लिए मुश्किल साबित होगा।
क्या है स्थिति
कक्षा कला वाणिज्य विज्ञान
11वीं 270 170 375
12वीं 172 112 278
छात्रों में क्यों है रुझान
जिले के साइंस स्कूलों में जहाज पुल स्कूल की अलग पहचान है। इसलिए एडमिशन के लिए सबसे ज्यादा मारामारी इस विषय के स्टूडेंट्स में हैं। यहां साइंस के तीनों विषयों की अत्याधुनिक लैब, कंप्यूटर लैब, इंग्लिश लैब, एजुसेट रूम, लाइब्रेरी और प्रदेश की पहली सेटेलाइट लैब सहित तमाम सुविधाएं हैं, जो नामी प्राइवेट स्कूलों में भी नहीं है। पिछले चार पांच सालों से इस स्कूल का रिजल्ट भी शत प्रतिशत रहा। इसके अलावा पूर्व प्राचार्य देवेंद्र सिंह के प्रयासों से तमाम जिला स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी या अन्य प्रतियोगिताओं की मेजबानी भी इसी स्कूल को मिली। इसलिए यह स्कूल छात्रों की पहली पसंद बना है।
॥ रिजल्ट न आने के कारण स्कूल में प्रोविजनल एडमिशन दिए गए हैं, लेकिन इनमें ही सीटें पूरी फुल हो गई हैं। इसलिए एडमिशन प्रक्रिया पर ब्रेक लगाए गए हैं। कृष्ण कुमार, प्राचार्य, जहाजपुल स्कूल।