केंद्रीय इंजीनियरिंग शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए आइआइटी व एनआइटी कौंसिल के एक ही संयुक्त प्रवेश परीक्षा की मुहिम को आइआइटी कानपुर ने बड़ा झटका दे दिया है। शुक्रवार को आइआइटी कानपुर की सीनेट की तरफ से अपने यहां 2013 में दाखिले के लिए अलग से प्रवेश परीक्षा कराने का फैसला किया गया है। इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। माना जा रहा है कि दूसरे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) भी यही राह पकड़ सकते हैं। वैसे तो हर आइआइटी स्वायत्त है और उसके संचालन में सीनेट को दाखिले तक में हर फैसला लेने का अधिकार है। आइआइटी-कानपुर की सीनेट के ताजा निर्णय से सवाल उठना लाजिमी है कि क्या कोई भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आइआइटी कौंसिल के फैसले को भी दरकिनार कर सकता है। चूंकि सभी आइआइटी केंद्रीय कानून से बने हैं। ऐसे में आइआइटी कौंसिल के साझा फैसलों की अनदेखी के चलते उनके अधिकारों को फिर परिभाषित करने की नौबत आ सकती है। दूसरी तरफ, इस फैसले के बाद आइआइटी दिल्ली व आइआइटी-मुंबई के भी इसी राह चलने की आशंका जताई जाने लगी है। उनकी सीनेट भी एक ही संयुक्त प्रवेश परीक्षा का शुरू से विरोध कर रही है