Sunday, June 24, 2012

कंप्यूटर ज्ञान डिब्बों में बंद! कंप्यूटर शिक्षा मात्र दिखावा


शिक्षा विभाग की निम्र स्तर की कार्यप्रणाली के चलते हरियाणा को शिक्षा का हब बनाना अब नामुकिन-सा लग रहा है, क्योंकि सरकार द्वारा लागू की गई बहुत-सी योजनाओं का लाभ विद्यार्थियों को नहीं मिल रहा है। बेशक प्रदेश सरकार योजनाओं पर करोड़ों खर्च करके आंकड़ों के ग्राफ को बढ़ा रही हो लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है। शिक्षा विभाग की नाकामी का एक और खुलासा यहां उस वक्त हुआ जब यहां के एक स्कूल में कम्प्यूटर के डिब्बे में ईंट निकली। पिछले एक वर्ष से जिले के 113 विद्यालयों में आए 2486 कंप्यूटर व अन्य उपकरण डिब्बों में बंद पड़े धूल चाट रहे हैं। पिछले करीब एक वर्ष से करोड़ों रुपए का यह कम्प्यूटर ज्ञान डिब्बों में बंद है। बेशक सरकार ने जिले के 113 स्कूलों में कम्प्यूटर, जेनरेटर, यूपीएस, प्रिंटर, कैमरे जैसी बेहतर सुविधाएं स्कूलों में भेजकर प्रदेश को शिक्षा हब बनाने के अपने उद्देश्य की किताब में एक ओर अध्याय जोड़ा हो लेकिन स्कूलों में बिना कंप्यूटर टीचरों के भला कम्प्यूटर शिक्षा की अलख कैसे जगाई जा सकती है।
जिले के गांव सेगा, मूंदड़ी, तारागढ़ आदि स्कूलों में तो करीब एक वर्ष पूर्व आए ये कम्प्यूटर चोरी भी हो चुके हैं और हरिपूरा के स्कूल में कम्प्यूटर की जगह ईंट पाई गई। हालांकि कम्प्यूटर कंपनी ने जिस डिब्बे में ईंट पाई गई थी उस डिब्बे की जगह कम्यूटर भेज दिया ताकि मामला आगे न बढ़े। राज्य सरकार ने जिले के हाई और सीनियर सेकेण्डरी स्कूलों में कम्प्यूटर, जेनरेटर, लैब अटेंडेंट जैसी सुविधाएं तो उपलब्ध करवा दीं, लेकिन कम्प्यूटर सिखाने वाले अध्यापक, कम्प्यूटर चलाने वाले जेनरेटरों में तेल की व्यवस्था व कम्प्यूटर रखने के लिए फर्नीचर जैसी तमाम सुविधाओं की ओर कोई ध्यान नहीं दिया है, जिसके चलते करोड़ों का कम्प्यूटर ज्ञान डिब्बों में बंद विभाग को कोस रहा है। अधिकारी उच्च अधिकारियों को कम्प्यूटर सिस्टम काम में कहकर गुमराह कर रहे हैं, जबकि जिले के अधिकतर स्कूलों में कम्प्यूटर डिब्बों में बंद पड़े हैं, कही बिना फर्नीचर के बिखरे पड़े हैं तो जेनरेटर तेल के अभाव में चल नहीं पा रहे हैं। इसके अलावा जिन 62 और स्क्ूलों में कम्प्यूटर शिक्षा दी जा रही है वहां भी बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल रही है। नाम ने छापे जाने की शर्त पर एक कम्प्यूटर शिक्षक ने बताया कि उन्हें 117 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं और छुट्टियों के पैसे नहीं  दिये जाते ऐसे में उनकी बच्चों को कम्प्यूटर सिखाने में रुचि कैसे पैदा होगी।
अधिकारियों की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में : स्कूलों में चल रही कंप्यूटर शिक्षा के संदर्भ में उच्च अधिकारियों द्वारा जिला के शिक्षा अधिकारी को एक पत्र मिला था जिसमें जिले की कंप्यूटर शिक्षा को जांचने के आदेश दिए गए थे, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूलों में रखे कंप्यूटरों की गिनती करके आगे रिपोर्ट दे दी। उन्होंने एक दो स्कूल में फर्नीचर न होने व स्कूल से कम्प्यूटर चोरी होने की सूचना देकर अपना पल्ला झाड़ लिया, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी होने के नाते कम्प्यूटर शिक्षा को दुरुस्त करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।
इस संदर्भ में जब जिला शिक्षा अधिकारी साधूराम बरेवाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि 113 स्कूलों में से 51 स्कूलों में जेनरेटर में तेल डालने के लिए पैसे आ चुके हैं। बाकी में आने बाकी उनके लिए विभाग को लिखा हुआ है। स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षक न होने की बात के संदर्भ में जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि स्कूलों में ये कई तरह की स्कीम है। कई स्कूलों में टीचर आने लगे हैं। बेरवाल ने कहा कि इस संदर्भ में विभाग को बता दिया गया है।

कंप्यूटर शिक्षा मात्र दिखावा : अध्यापक संघ

इस संदर्भ जब हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश संगठन सचिव मास्टर बलबीर सिंह व कृष्ण निर्माण से बात की गई तो उन्होंने कहा कि किसी भी योजना को लागू करने से पहले उसका ढांचा तैयार करना बेहद जरूरी है लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। बिना ढांचा तैयार किए स्कूलों में कम्प्यूटर रखवा दिए गए हैं जोकि बंद अलमारियों में धूल चाट रहे हैं। बिना टीचरों, फर्नीचर आदि व्यवस्था के बिना कम्प्यूटर शिक्षा एक दिखावा है। उन्होंने कहा कि सही मायनों में कम्प्यूटर शिक्षा का तभी महत्व है जब कम्प्यूटर को भी एक विषय के रूप में पढ़ाया जाए और स्थाई भर्ती की जाए।

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