Wednesday, July 4, 2012

करोड़ों के शिक्षा दीप जलने से पहले ही बुझे होनहार छात्रों को बांटी जानी थीं लालटेन, पूरे प्रदेश में योजना पर लगी रोक

सोलर लालटेन सप्लाई करने वाली एक कंपनी ने प्रदेश सरकार को करोड़ों का चूना लगा दिया। अफसरों को भनक तक नहीं लगी। अलग-अलग जिलों में जब छात्रों ने इन लालटेनों की घटिया क्वालिटी की शिकायत की तब जाकर यह मामला खुला। फिलहाल कंपनी के खिलाफ पानीपत, हिसार, जींद और पंचकूला में एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। अक्षय ऊर्जा विभाग ने बाकी जिलों में भी एफआईआर की सिफारिश भेज दी है। मगर किसी भी विभागीय अधिकारी की कोई जिम्मेदारी तय नहीं की गई है। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अभी तक किसी भी विभागीय अफसर या कर्मचारी का नाम सामने नहीं आया है। 

यह सोलर लालटेन प्रदेश के आम छात्रों व लोगों को सब्सिडी पर और होनहार छात्रों को बतौर इनाम दी जानी थीं। इन्हें नाम दिया गया शिक्षा दीप, मगर जहां भी यह दीप छात्रों तक पहुंचे कुछ घंटों बाद ही बुझ गए। लगातार शिकायतें मिलीं तो जांच हुई। पता चला कि सोलर लालटेनों में लगी ब्रांडेड बैटरी नकली थीं। ये सरकार से ठगी है या मिलीभगत से अंजाम दिया गया कोई घोटाला, इसका पता तो जांच के बाद ही चलेगा मगर इतना तय है कि मामला करोड़ों का है। 

प्रदेश के अक्षय ऊर्जा विभाग ने जुलाई 2011 में गुजरात की एक कंपनी को ६3 हजार सोलर लालटेन खरीदने का आर्डर दिया था। कंपनी तकरीबन 23 लालटेन सप्लाई कर चुकी है। अब तक हुई जांच के मुताबिक इनमें से करीब नौ हजार लालटेनों में ब्रांडेड बैटरी की जगह उसी कंपनी के नाम वाली नकली बैटरी सप्लाई कर दी गईं। लालटेनों के मॉडल में भी फर्क मिला है। अगर सभी सोलर लालटेनों की कीमत जोड़ी जाए तो इस प्रोजेक्ट की कीमत करीब 15.5 करोड़ रुपए है। 23 हजार लालटेनों की पहली खेप प्रदेश के विभिन्न जिलों में बांटी जा चुकी हैं। इनकी कीमत करीब छह करोड़ रुपए है। वैसे तो एक सोलर लालटेन की कीमत 2450 रुपए है, जिस पर 1000 रुपए की सब्सिडी मिलने के बाद लाइट 1450 रुपए की बेची गईं। 

हरियाणा सरकार की हाई पॉवर परचेज कमेटी ने गुजरात में गांधीनगर बेस्ड कंपनी आरजीवीपी एनर्जी सोर्सेस को २०११ में अक्षय ऊर्जा विभाग के लिए करीब 63 हजार सोलर लालटेन सप्लाई करने का ठेका दिया था। विभाग के प्रोजेक्ट ऑफिसर आरएस पूनिया के अनुसार कायदे से इस कंपनी को सभी लालटेनों में ल्यूमिनस ब्रांडनेम की बैटरियां लगानी थीं। 

कंपनी ने बीते दिसंबर और जनवरी के महीने में सप्लाई पहली दो खेपों में बैटरियां पर छपे असली नाम को मिटाकर स्क्रीन प्रिंटिंग से ल्यूमिनस ब्रांडनेम छपवा लिया। इनकी संख्या करीब 9 हजार है। कई जिलों में मामला खुलने पर कंपनी ने कुछ लालटेनों में असली बैटरी लगाकर भी सप्लाई दी। उसका मकसद फौरी तौर पर धांधलेबाजी को छुपाना था। 

कंपनी की परफॉर्मेंस गारंटी होगी जब्त 

लालटेन सप्लाई करने वाली इस कंपनी ने नकली बैटरी लगाने के अलावा मॉडल में भी हेराफेरी की। कंपनी सप्लाई ऑर्डर के मुताबिक ३० जून तक तय सप्लाई भी नहीं दे सकी। इस हेराफेरी के चलते अक्षय ऊर्जा विभाग ने कंपनी परफॉरमेंस गारंटी जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह सप्लाई एमाउंट का दस प्रतिशत है। तकरीबन 1.5 करोड़ रुपए। फिलहाल प्रदेश में लालटेन वितरण रोक दिया गया है। 

पंचकूला में जनरल कैटेगरी की 194 और स्कूली छात्रों को वितरित करने के लिए 619 सोलर लाइटों की खेप पहुंची थी। जनरल कैटेगरी की लालटेनं सरकारी आदित्य सोलर शॉप से बेच दी गई। पंचकूला पुलिस के मुताबिक पहले चरण में करीब 200 सोलर लाइट पंचकूला जिला प्रशासन के सौर ऊर्जा विभाग को मिल गर्इं। सभी लालटेन मोरनी क्षेत्र में वितरित कर दी गईं। कुछ दिनों बाद ही लालटेन खराब हो गईं। इसी बीच लोगों ने प्रशासन के आला अधिकारियों से इन लालटेनों की शिकायत दे दी। प्रशासन ने कुछ सोलर लैंप अपने कब्जे में लेकर जांच करवाई। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि सीएफएल और बैटरी पर सिर्फ स्टीकर ही बड़ी कंपनी का लगा था, लेकिन माल नकली था। अपने स्तर पर जांच के बाद एडीसी ने संबंधित थाने में शिकायत दी और पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। जांच र रहे इंस्पेक्टर रमेश चंद्र ने बताया कि अब तक की जांच में सिर्फ इतना पता चला है कि कंपनी गुजरात और कुरुक्षेत्र से ऑपरेट कर रही है। 

॥राज्य में जहां से भी सोलर लालटेन की सप्लाई में फर्जीवाड़े की शिकायतें मिलीं, इन्हें सप्लाई करने वाली कंपनी के खिलाफ हर जिले की पुलिस के पास एफआईआर दर्ज कराई जा रही हैं। पुलिस तो अपना काम करेगी ही, उस कंपनी के खिलाफ विभाग स्तर पर भी नियमानुसार एक्शन लिया जा रहा है। इस सारे फर्जीवाड़े में विभाग के स्तर पर कोई मिलीभगत नहीं हुई वरना ये सारा मामला सामने ही नहीं आना था।ञ्जञ्ज अरुण कुमार, डीजी अक्षय ऊर्जा विभाग 

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